________________
११२
अनुसन्धान-७७
ढाल : भलइ रे पधार्या तुझे साधजी रे... अहनी देसि वयण सुण्यां प्रीउ मित्रना रे मन अति पाम्यो घण रंग रे हूउ रे उमाहो मन मिलवा तणो वली जाग्ययो मयण तरंग रे.. १७४ जोवो साची महिमा शीलनी रे जिणि हुंती भवभीडि जाय रे फलइ मन केरी आसा घणी रे आपद टलनइ सुख थाइ रे...जोवो. १७५ वात सांभलीनइ चाली अंजना रे बइठी बइठी आवी मामा अंति रे अह्मनइ प्रीतमरउ आणो आवीयो रे हिवि संप्रेडो मनि खंति रे.. जोवो. १७६ भलइ बाइ थारइ आणओ आवीयो रे अम्हे पाम्यो परमाणंद रे दोस उतरस्यइ शिरथी कारिमो रे वलि पामेस्यइ सुख जिंद रे...जोवो. १७७ मामइ संप्रेडी रूडइ सुंदरी रे बहला दीधा हीरा लाल रे हार मोतीना दीधा नवलखा रे वली दीधी सोवन माल रई... जोवो. १७८ नंग जडित दीधा बहिरखा रे वली दीधा बाजु बंध रे चीर पटोला नारीकुंजरी रे वली दीधा कसबी संध रे... जोवा. १७९ वीर कुमरनइ आपीयां रे वागा डील प्रमाण रे सोवन कडली सांकली रे वली सीसइ खुंप मंडाण रे... जोवा. १८० इणइरे साहमांणी चाली अंजना रे वली दीधा साथि जोद्धार रे मामो पणि चाल्यो साथइ चूंपस्युं रे हय गय रथ परवार रे... १८१ केइ नर बइस रूडी पालखी रे के नर आगेऊ जाय रे केइ गगनि उंचा वहइ रे केइ अश्व पलाय रे... जोवो.. १८२ इणि परि रूडइ मारग चालती रे पुहता निज पुर तीर रे गयो रे वधाओ कुमर आगलइ रे बइठो छइ जिहा दिलगीर रे... जोवा. १८३ जाईनइ वधाऊ इम बोलीउ रे आवी अंजना नारि रे कुमर सुणीनइ ऊठ्यो झलफली रे अवलोकइ वारोवारि रे... १८४ राजानइ राणि बेहु रंगसुं रे वजडावइ निसाणा रे भेरि नफेरी भुंगल भरहरइ रे ठाण माड्यो रंग मंडाण रे... १८५ पंचमंगल गूड उछालइ रे वली बांध्या तोरण बारि रे कलस जवारा शिर कामिनी रे हालइ गजगति सार रे... १८६ सन्मुख जाई सहु को मिल्या रे वागां वरमंगलतूर रे मधुरा गावइ गोरी सोहला रे हुवो पुरी सकलो नूर रे... जोवो. १८७