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जून - २०१९
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आनंदस्यु मंदिरमइ आवइ आप-मित खवास पूछइ वल्लभा कयुं दीसइ नही बोलाई ल्यावो वेगि आवास. रं० १११ सयण कहइ प्रभु नाम न लीजई ऊणि पापणिको आज कुकरम करीनइ वंस विटाल्यो काई न राखी कुलवट लाज. रं० ११२ जिण दिन कटकी तुम्ह सीधाओ इणिकुं विण बोलाई तिणि दिन जार संघातइ खेली आपणइ जीउ रंग लागाइ. रं० ११३ गर्भ धर्यो तिणकेरइ योगई पाप हुउ परगट्ट राजा राणी भेद लहीनइ काढीनइ मेल्ही जंगलवट्ट... रं० ११४ वलती काई खबरि न पाइ मुई गई किहा रेख कुमर सुणीनइ अंगणइ ढलीउ है है लागो दुःख अलेख... रं० ११५ राजारांणी आवीया पवन ढलाया सीअ टाढा जलस्युं अंग छंटायो चेतनवाली सूरति कीअ... रं० ११६ कुमर कहे रे मूढ गमारो ओ कुण कारिज कीध। सतीयां सिरि अंजना नारी अपजस सीर कोई न लीध... रं० ११७ कइ मुझ नारी वेग मिलावो कइ हुं छंडिस प्राण हासी करता विखासी होसई विरहरा लागा मुझ बाण... रं० ११८ नारि पाखइ सब अलूणो छयल पुरुष कुं होय मूरख खर पडि पाय पछाडइ पयछाडइ तइं सा दोइ... रं० ११९ हा हा प्रिया तुझ अमृतवाणी कब सांभलीस्यां कांनि चपल नयण कव देखसि नयणे कब कंठि लाइ सप्राणि... रं० १२० कनकलता चंदनकई रूखइ कब चढसइ लपटाइ प्रीति सजलसुं कब सींचीस्यइं हा दिग् पापी जगत राय... रं० १२१
आगइ पणि मुझ विरहइ दाधी वली ओ ऊपरि दाह प्राण गया होइ वन भमतां मेल्हतां मोटी धाह... रं० १२२ मइ ओ नारी राखे न जाणी हारवी नाखी आलि कर्महीन नर मोहनवेली केम ऊछेरइ पालि...
रं० १२३ सूनां मंदिर मालीआं हो तो विण सुगणी नारी बइठां ऊठ्यां चयन न पायुं आओ मिलीजई हृदयबारि... रं० १२४