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अनुसन्धान-७७
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रणभूहि ते रावण रलीयो नीच तणइ घरि हरिचंदराउ लखमण राम हुआ वनवासी कोरव हणीया रणवट घाउ... पांडव पांचइ कुल नीगमीयो नलनृप कूबड रूपसू आर द्वारिका दाह नारायण निरख्यो कर्म तणी गति पार अपार.... रुषिरो श्राप लह्यो सुरराजाइ चंद्रइ पाम्यो श्याम कलंक प्रथमोदधिरउ पाणी खारउ कर्मे नडीआ राउ नइ रंक.. इम सुरनर बहु कर्मइ जीत्या कहिता पार न लाभइ कोइ सुगुरु कहइ सुणि इणि परि बाई भोगवीया विण अंत न होइ... ४९ कर जोडी इम बोलइ अंजना मइ दुःख पाम्यां अणि विराम पणि य(ये) दासी माहरइ केमइ बहु दुःख सेवइ ते किम सांमि..५० तई प्रतिमा सांती ऊकरडइ तारई तुझ ए हूंती पासि पूरण ढांकि ऊघाडी दीसई ओ ईम बोली वचन प्रकासि... ५१ तेह वचनथी अह पणि तोस्युं सुख दुःख सेवइ आप शरीर लघु दीरघ जे कीध कमाई आडी आवइ सोई उदार... ५२ अतिघण संपद पामिस सुंदरी म करइ कांइ विमासण अंग राजऋधि घण लीला पामिसि मिलसइ प्रीतम तोस्यु रंग... ५३ अहवा वचन सुणी ज्ञानी मुखि हरख घणो मन माहि कोईक अभिग्रह लीधा सूधां जां प्रीउ न मिलइ रंग उच्छाह... ५४ त्रीजा खंड तणी ओ बीजी ढाल कही फल कर्म विचार कवि कहइ ज्ञानी गुरु विण संसय कोई न दीसइ टालणहार... ५५
दहा
तुं जंगम मोटो यती करणी तो सुकयत्थ पर उपगारी परम गुरु संसय हरण समत्थ... तवना करी बइठी सती गावंती गुण ग्राम हवई अकमना थई सांभलउ किम पामी विश्राम.. रविध्वज नामई माउलो अंजना केरो अक यात्रा नंदिसर करी वल्यो निज घरि नई सुविवेक...