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जान्युआरी- २०१९
बे बारमासाओ
- सं. रसीला कडीआ
प्रस्तुत बन्ने बारमासीओ लिप्यन्तर करवा माटे मने आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर, श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबामांथी उपलब्ध थई छे. हस्तप्रत नं. HP - 6031 Page 1 (AB) प्रथम बारमासीनो क्रमाङ्क छे. बीजी बारमासीनो क्रमाङ्क छे - हस्तप्रत नं. HP 6035 Page 2 (13A-14B).
आपणे जाणीओ छीओ के मध्यकालीन साहित्य-स्वरूपो पैकी बारमासी साहित्य फागु अने रासा पेठे जैन साधुओ द्वारा सारा प्रमाणमां खेडायुं छे. पियुनी गेरहाजरीमां प्रियतमाना बारेमासना विरहनी व्यथा अमां निरूपित थई होय छे. सामान्य रीते आ वर्णन श्रावण मासथी शरु थाय छे. प्रायः बारमासीना विषय लेखे जैन मुनिओओ स्थूलिभद्र-कोशा तथा नेमनाथ अने राजीमती-राजुलनां पात्रो पसंद कर्यां छे. विरह अन्ते संयमदीक्षामा परिणमी, मोक्षगामी बनतां, काव्यमां चूंटातो करुणरस शान्तरसमां परिवर्तित थाय छे. प्रस्तुत बन्ने कृतिओ, नेम-राजुलने अनुलक्षीने
प्रथम कृति दूहा अने ढाळना मिश्र स्वरूपे रजू थई छे. ते मल्हार राग (दूहामां) अने धनरा चाल्ही ओ देशीमां (ढाळमां) बद्ध थयेली छे. ३५ कडीना आ स्तवनना अन्तनी कडी कळश स्वरूपे छे. तेमां कर्ताना गुरुओनां तथा कर्तानां नाम अपायां छे. तपागच्छना श्रीविजयदयासूरि जेनी कीति महिमण्डल (पृथ्वी) पर राजा समी छे अने वजीर समा शोभता श्रीअमृतविजय जेना गुरु छे तेवा शिष्य लक्ष्मीसुख आ कृतिना कर्ता छे.
कृतिनी प्रारम्भिक ६ कडीओमां – राजुलने आंगणे नेमकुमारनी जान आवी छे अने ते शणगार सजीने, पियुने जोवा, सखीओ साथे उत्कण्ठित बनीने राह जुओ छे. तोरणे पधारेला नेमकुमार आ समये पशुओनो पोकार सांभळे छे. संसार तेमने असार जणायो. तोरणेथी ज पाछा फरी, गिरनार तरफ प्रयाण करे छे. राजुल आ समाचार जाणे छे. पोते जाणे छेतराई होवानी लागणी अनुभवे छे. हवे पछीनी प्रत्येक ढाल तथा दूहा श्रावण मासथी अषाढ मास पर्यन्तनी कुदरतनी जीवन पर पडती असरो साथे पोताना विरहने गूंथती राजुलना मननी अभिव्यक्ति छे. अन्ते गिरनार पहोंची, तप करी, ते मोक्षगामी बने छे.