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________________ जान्युआरी- २०१९ ४३ पणयालीसमई पाटिं, श्रीदेवेंद्रसूरि थया, धारक बहुय प्रवचन तणा ए ४ कर्मग्रंथनई भाष्य, प्रकरण बहु कर्यां, विधि सामाचारी वली ए ५ इम बहुविधई थया सूरि, पाट-परंपरा, शासननइं दीपावता ए ६ अनुक्रमई सगवन पाटि, थया सूरीसर, श्रीआणंदविमल वडा ए ७ कीधो निर्मल मार्ग, किरिया उद्धरी, शिथिल-पंथ जिणि अपहर्यो ए ८ तपा बिरुद जिणि वरू, कीबूं उज्जलं, __ पूरव मुनि ओपम लहइ ए ९ ॥ सर्व गाथा - ११ ॥ ढाल - ३ ॥ कंत [त] माखू परिहरो - ए देशी श्रीविजयदानसूरीसरू, तस पटि प्रगट्या दिणंद महाराज, अढी लाख जिण-बिंबनी, करी प्रतिष्ठा सुखकंद ॥ १ धन धन साधु परंपरा तस पदि पटि पूर्वाचलई, उदयो अभिनव भाण महाराज, श्रीहीरविजयसूरीसरू, केतां करुं हुं वखाण ॥ २ धन.... संवत सोल उगुणच्यालमइं (१६३९), साहि अकब्बर राणि महाराज, फत्तेपुरमा तेडिया, पाउधार्या गुरु गुणखाणि ॥ ३ धन... दर्शनना सवि पूछीया, धर्म तणा आचार महाराज, पंच महाव्रतनो कह्यो, आगम-अर्थ उदार ॥ ४ धन... निर्दोषी परमारथी, पंच प्रकारि शुद्ध महाराज, नाम' थापनारे द्रव्य भाव थी, मुद्रादिकई अविरुद्ध ॥ ५ धन... ते देव तस वयणइं चलइ, निःस्पृह साचा वयण महाराज, ते गुरु धर्म अनाशंसथी, कर्म करई सवि खीण ॥ ६ धन...
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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