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अनुसन्धान-७६
एटले जीर्णोद्धार करी फरी ऊभुं करेलु एवो अर्थ समजवानो ते प्रश्न तो ऊभो ज रहे छे. जो के हमणां थोडा समय पूर्वे खम्भातना अमरशाळाना ज्ञानमन्दिर हस्तलिखित विभागमांथी "श्रीहीरसूरीश्वरजी महाराजनां धर्मकार्योनुं वर्णन" नामनी एक अपूर्ण हस्तप्रत मळी, जे प्रतमां खम्भातना चिन्तामणिपार्श्वनाथ प्रभुना जिनालयनी तेम ज शेठ राजीया-वाजीयानां सत्कार्योनी केटलीक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक नोंधो हती. ते प्रतमांथी ज उपरोक्त बाबतनो खुलासो मळ्यो. अहीं ते बाबतना उल्लेख साथे ते कृतिनो पण परिचय अमे आपीए छीए. प्रस्तुत कृतिनो सार :
प्रस्तुत कृति अपूर्ण होवा छतां ऐतिहासिक दृष्टिए खूब ज महत्त्वनी छे. कविए कृतिनी शरुआतनी ५ ढाळमां तेमज छठ्ठी ढाळनां ७ पद्यो सुधी चिन्तामणि पार्श्वनाथनी स्तवना आलेखी छे. जो के आ स्तवना शब्दथी स्वतन्त्र रचना भले होय परन्तु भावथी कहो के अर्थथी ते उपरोक्त संस्कृत शिलालेखनी अनुवादात्मक रचना ज छे. कविए अहीं शिलालेखनां पद्योने आंख सामे राखी गाथाक्रम मुजब ज कृतिनुं गुर्जर पद्यस्वरूप विकसाव्युं छे. विशेषमां कविए "सूरिजीनी देशनाथी प्रभावित थई राजीया तथा वाजीया - ए बे श्रावकोए आदरपूर्वक नवं जिनालय मंडाव्युं" एवा भावनां पद्यो द्वारा नवा जिनालयना निर्माणनी स्पष्टता करी छे.
त्यार पछी ते ज ढाळनी आठमी गाथाथी कविए खम्भातना ते बे शेठराजीया तथा वाजीयानां सत्कार्यों पर विशेष प्रकाश पाथरवानो प्रयत्न करवा ते बे शेठे भाणोजी नामना गृहस्थने कशुं आप्यानी, नारंगा पार्श्वनाथनी प्रतिष्ठा कर्यानी तेम ज जिनालयना भोयराने कहलबंध (?) कर्यानी विगतो नोंधी छे. तो ते ज गाथाना त्रूटकछन्दवाळा पद्यमां ते शेठना गृहजिनालयमां मणिरत्नना चोवीसवट्टा (चोवीसी)नी तथा पित्तळ-कनकना पंचतीर्थी शान्तिनाथ प्रभुनी प्रतिमा स्थाप्यानो पण त्यां उल्लेख कर्यो छे. त्यार पछीनी गाथा ते बन्ने शेठ वडे निर्माण करायेला गोहा बंदर पासेना बांदोडइ गाममां नेमिनाथ तथा करहेडा पार्श्वनाथ प्रभुना प्रासादना, गंधारना नवपल्लव पार्श्वनाथ प्रभुना प्रासादना तथा भेजा गामना ऋषभदेव प्रभुना प्रासादनिर्माणना नामोल्लेखवाळी छे. आ ज गाथामां कविए ते श्रेष्ठिओ द्वारा कुल ७ चैत्यो निर्माण करायानी तथा जीर्णोद्धारमां पण तेओ वडे घणुं द्रव्य खरचायानी विगतो आलेखी छे. ढाळना अन्तिम पद्यना पूर्वार्धमां कवि आ बन्ने श्रेष्ठिओ वडे राणकपुरनी दक्षिणे चौमुख स्थपायानी तेमज अन्य पण आवा सेंकडो जिनबिम्बो प्रतिष्ठित करायानी नोंध करे छे तो उत्तरार्धमां श्रेष्ठिओ वडे साते क्षेत्रमा खर्चाता द्रव्यनी, अठ्ठाइ आदि