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________________ जान्युआरी- २०१९ प्रकीर्ण स्तोत्रादि - सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय आ साथे विविध कर्ताओ द्वारा विरचित १५ जेटली प्रकीर्ण स्तुतिस्तवनादि कृतिओ सम्पादित करीने मूकी छे. कृतिओनी हस्तप्रतो जे जे ज्ञानभण्डारनी छे तेनां नामो ते ते कृतिओना अन्ते लखेलां छे. आ कृतिओनी Xerox पूज्य आचार्य श्रीमुनिचन्द्रसूरिजी म. तेम ज श्रीसुयशचन्द्रविजय गणिवर्यना सहयोगथी प्राप्त थई छे. उपरोक्त ज्ञानभण्डारोना कार्यवाहकोनो तथा श्रमणवर्योनो हार्दिक आभार. १. श्रीब्रह्मर्षि-रचित श्रीस्तम्भन-पार्श्व-स्तवनम् श्रीवामेयं विधु-सम-वदनं, वन्दे मङ्गल-कमला-सदनं, निर्जित-दुर्मद-मदनम् । अश्वसेन-कुल-पङ्कज-सूरं, दुःख-महा-रिपु-परिभव-शूरं, विश्वद-सकल-गुण-पूरम् ॥१॥ अतुल-बल-सुरगिरि-सम-धीरं, पाप-रजो-भर-हरण-समीरं, प्राप्त-भवोदधि-तीरम् । कर्म-धरा-दारण-शुभ-सीरं, दशन-पङ्क्ति-जित-निर्मल-हीरं, क्रोध-दवानल-नीरम् ॥२॥ मान-करटि-विघटन-पञ्चास्यं, दूरोत्सारित-मोहन-हास्यं, - अमर-वधू-कृत-लास्यम् । नित्यं सुर-नर-पूजित-चरणं, रक्तोत्पल-कोमल-कर-चरणं, पालित-निर्मल-चरणम् ॥३॥ दुःखित-जगती-जन-गण-शरणं, वारित-जन्म-जरा-भय-मरणं, मन-ईहित-सुख-करणम् । विदित-निखिल-भुवन-त्रय-सारं, प्रभावती-हृदय-स्थल-हारं, बोधि-बीज-दातारम् ॥४॥
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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