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________________ १२८ अनुसन्धान-७६ कमसो असंखगुणिया सणंकुमारे णाओ संखेज्जा । दोच्चाए असंखेज्जा मुच्छिममणुया वि एमेव ॥" महादण्डक प्रकरण २ बिन्दु क्रमाङ्क-८ श्रीमद् भगवती सूत्र शतक १२ उद्देशक ९ में आगत भावदेव सम्बन्धी अल्पबहुत्व को स्पष्ट करते हुए श्री भगवती चूर्णि में भी कहा है"सहस्सारि तिरिया, ततो असंखेज्जा, जे लग्गलग्गा तेसु संखेज्जा" (पृ. ४२०) इससे भी स्पष्ट है कि माहेन्द्र से लगा हुआ सनत्कुमार उससे संख्येयगुण अधिक देवों वाला है तथा ईशान से लगा हुआ सौधर्म भी उससे संख्येयगुणा अधिक देवों वाला है । श्री भगवती सूत्र (शतक १२, उद्देशक ९) की श्री अभयदेवसूरि कृत वृत्ति में भी ‘संख्येयगुणा' कहा है, जिसे बिन्दु क्रमाङ्क ४ में स्पष्ट किया जा चुका है। २ उपसंहार : यद्यपि श्रीमत् प्रज्ञापना सूत्र की मलयगिरीया वृत्ति, श्रीमद् जीवाजीवाभिगम सूत्र की मलयगिरीयावृत्ति आदि कतिपय ग्रन्थों में असंख्येयगुणा को प्रमुखता दी गई है तथापि श्रीमत् प्रज्ञापना सूत्र एवं श्रीमद् जीवाजीवाभिगम सूत्र की अनेक हस्तलिखित प्रतियों के पाठ, जीवसमास की मलधारी हेमचन्द्र सूरि कृत वृत्ति में आगत श्रीमत् प्रज्ञापनासूत्रगत महादण्डक का उद्धरण, श्रीमद् भगवती सत्र की अभयदेवसूरि कृत वृत्ति में आगत श्रीमद् जीवाजीवाभिगम सूत्र का उद्धरण एवं तदनुसार श्री भगवती सूत्र का मूलपाठ, श्रीमद् जीवाजीवाभिगम सूत्र के मूलपाठ की शैली, श्री भगवती सूत्र की चूर्णि, श्री प्रज्ञापनोपाङ्गतृतीय-पद-संग्रहणी तथा महादण्डक प्रकरणगत गाथाएँ एवं उनकी शैली, जीवसमास की मलधारी हेमचन्द्रसूरि कृत वृत्ति इत्यादि के उपर्युक्त
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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