SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जान्युआरी- २०१९ १२५ तिविहे' इत्यादि । इह च 'तिविहे'त्ति त्रिविधजीवाधिकार इत्यर्थः । देवपुरुषाणामल्पबहुत्वमुक्तं तथेहापि वाच्यं, तच्चैवं - 'सहस्सारे कप्पे असंखेज्जगुणा, महासुक्के असंखेज्जगुणा, लंतए अंसखेज्जगुणा, बंभलोए देवा अंसखेज्जगुणा, माहिदे देवा अंसखेज्जगुणा, संणकुमारे कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ईसाणे देवा असंखेज्जगुणा, सोहम्मे देवा संखेज्जगुणा, भवणवासिदेवा अंसखेज्जगुणा, वाणमंतरा देवा अंसखेज्जगुण'त्ति" - श्री भगवती सूत्र, शतक ९, उद्देशक १२ के अन्तिम सूत्र पर भी अभयदेवसूरि कृत वृत्ति का उपर्युक्त उद्धृत शुद्ध वृत्तिपाठ हस्तलिखित प्रति के आधार से लिखा है । __उपर्युक्त वृत्त्यंश में उद्धृत श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र के पाठ के आधार से श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र की हस्तलिखित प्रतियों में प्राप्त ‘संखेज्जगुणा' पाठ की शुद्धता दृढ़ता से पुष्ट होती है । साथ ही इससे श्री भगवती सूत्र में 'संखेज्जगुणा' पाठ होना सिद्ध होता है। इस भगवतीवृत्ति सम्बन्धी वर्णन से सुसिद्ध है कि श्री भगवती सूत्र एवं श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र इन दोनों सूत्रों के अनुसार चतुर्थ देवलोक के देवों से तृतीय देवलोक के देव संख्यातगुणा है । भगवती सूत्र की चूर्णि से भी यही तथ्य प्रकट होता है। भगवती चूर्णि सम्बन्धी कथन को बिन्दु क्रमाङ्क ८ में आगे स्पष्ट किया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट है आचार्य श्री अभयदेवसूरिजी भी संखेज्जगुणा पाठ ही मानते थे । आचार्य श्री अभयदेवसूरिजी ने स्वरचित प्रज्ञापनोपाङ्ग-तृतीय-पद-संग्रहणी में भी 'संख्यातगुणा' ही माना है । इसे आगे बिन्दु क्रमाङ्क ६ में स्पष्ट किया गया है । बिन्दु क्रमाङ्क - ५ श्रीमद जीवाजीवाभिगम सूत्र की द्वितीय प्रतिपत्ति के मूलपाठ की शैली से भी तृतीय देवलोक के देवों का चतुर्थ देवलोक के देवों से संख्येयगुण होना दृढ़ता से पुष्ट होता है । मूलपाठ की वह शैली इस प्रकार
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy