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________________ ११२ अनुसन्धान-७६ १९५ १९६ १९७ फल फूल खाउं वनि भमति थकी रे पीउ न जरण नीर काल गमाडउं गिरि शिर झंगरइ रे सेवउं तापसतीर... कर्म न... ईम चितवीनई तिहांथी नीसरी रे दासी छई संघात आगल जातां दिनकर आथम्यो रे साम्ही आवी राति... कर्म न... साहमी छांहे छांहि मिली गई रे प्रगट्यो घोर अंधार रे सूझई आगल आदरइ रे ____वीजई ठेसि अपार रे... कर्म न... सावज वनमाहिं सोर घणा करई रे वाघ सिंघ विकराल रे हाड श्योतर प्रेत घणा हसइ रे बीहावइ दे फाल... कर्म न... सतीयइं पथ तिहांथी निवारीयो रे बइठी वडवृक्ष हेठि मूल मंत्ररउ समरण मांडीयो सधी समकित देठि... कर्म न... अणसण सागारी मनसुं करी रे सरणां कीधां चार लाख चोरासी जी(व) खमावीया रे' दुरगति फेडणहार... कर्म न... मनसुं भावई बारई भावना रे वली अढारह पाप थानक चीतारीनई परिहरई रे - निंदई अतिघण आप... कर्म न... १९८ १९९ २०० २०१
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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