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________________ अनुसन्धान-७६ मातपिता साच मानयो वात कहूं सुविसाल रे पुत्र तुह्मारो महल पधार्यो पाम्यो भोग रसाल रे. १७२ चंपकमाली दासी पूछो जउ अह्म वयण न मांनो रे आगलि नाखी सोवन वीटी अह अहनाणी सानो रे. १७३ अहिनाणी साची ले दीधी पणि तसु चित्त न पावइ रे कर्म तणां फल अणभोगवी फिरइ आडांई आवइ रे. १७४ सासू सुसरउ चित्त विमासी पाछउ जंपइ ओम रे जावउ वहू थे मंदिर वसो वल्लभ वाह्यो प्रेम रे. १७५ वात सहू इणि खोटी बोली कामी साच न बोलई रे जूआरी सोनार धूतारउ कबही कपट न खोलइ रे. १७६ अहवो जाणी राजाराणी कहई केसी विधि कीजइ रे सयल कुटुंबनई दोस चडावई जउ से घरि राखीजई रे. १७७ तिणि कारणि घर बाहिर काढो वेग म लावउं वार रे पीहरिई दिस वलछई सारी मुको रान मझारि रे. १७८ ओम विमासीनई बोलाव्यो रथरउ खेडणहार रे जावउ अंजना वेहिल चडावी मूको दंडाकारि रे. जो पूछइ तो ओम कहेज्यो पीहरनइ पठावइ रे दासीनइ पासइ मेल्हेज्यो तिम करज्यो जिम नावई रे. १८० तहत करीनइं रथपति चाल्यो फिरी वयण न वाले रे चाकर कूकुर बे सारिखा जिम कहइ तिम हाले रे. १८१ पांचमी ढाल से बीजा खंडरी कहतां हीअडइ सालई रे कवि कह स सुणो नरनारी कर्मसुं प्राण न चालई रे. १८२ १७९ १८३ रथ जोतरिनई आवीयो अंजना केरइ बारि आवो रथि बइंसो तुझे म करो रीस्य लगार. सती कहइ खेडू प्रति कहिनइ किस्यो विनाण पीहरी तुह्मनई मेल्हिरयां राय तणी छई आण. १८४
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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