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________________ जान्युआरी- २०१९ १०३ चालि- लिखिया जे वेही अंकूर कुण मेट सकइ अणुरा भोलो जीव करई विश्वासा भरियां नाखई नीसासा... दूहा- ओ नीसासो हे सखी मो वेरी बलवंत । जो ओ नाथइ पापीउ तनडुं दुख छूटंति... चालि- दुःखहूंती तो हू छूटुं विरहानल बलती खूटु मो सहियो प्रेम न जाई जीव आकूलव्याकूल थाई... दूहा- हाक लिहीउ हे सखी खोटउं अथिर सनेह ओकपखो करि नेहलउ काई जलावइ देह... चालि- नेह अकपखो करि भोली घट भीतर कांधई होली अकली बइठी तु छीजइ उणरउ मन कांइ न भीजइ. दूहा- पथ्थर भेदीजई नही जो घण वरसई बार पल्लव मेल्हई रूखडां जिणस्युं प्रीति अपार. चालि- जिण रूखसुं प्रीति अपार तिण दीठइ हो इकरार अणसहतां जीव उदासी जोउ पठर लोह विमासी... दूहा- नेह घणो अके मने अक तणे मन भंग जोज्यो सगुण पटतरो दीपक अनई पतंग. चालि- जोज्यो दीपक नेह पतंगा अकांगई दाझई अंग मच्छ जल विण अति दुःख आणी पिण पाणी प्रीति न जाणई ८८ दूहा- तिणि कारणि हे बहिनडी परिहर सोग विकार कर्म तणां फल पामूआं भोगवणां निरधार... चालि- फल कर्मतणां भोगवणां दुख सोग तणी करि जरणां अपनो मन हटकी लीजई संवेग तणो रस पीजई... समजावी मन वालीयो छोड्यो मन अंदोह लागउ अकमनो थ(घ)णो धर्म सरीसो मोह... चालि- लागो धर्म सरीसो मोह छोड्यो मद मच्छर द्रोह वीतराग हीआमां धारइ मिथ्या मति दूरि निवारई. दूहा- सती करई सुधई मनई किरिआधि पच्चखाण आलोअण तप आदरई सीस वहई जिनआण. दूहा
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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