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जान्युआरी- २०१९
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चालि- लिखिया जे वेही अंकूर कुण मेट सकइ अणुरा
भोलो जीव करई विश्वासा भरियां नाखई नीसासा... दूहा- ओ नीसासो हे सखी मो वेरी बलवंत ।
जो ओ नाथइ पापीउ तनडुं दुख छूटंति... चालि- दुःखहूंती तो हू छूटुं विरहानल बलती खूटु
मो सहियो प्रेम न जाई जीव आकूलव्याकूल थाई... दूहा- हाक लिहीउ हे सखी खोटउं अथिर सनेह
ओकपखो करि नेहलउ काई जलावइ देह... चालि- नेह अकपखो करि भोली घट भीतर कांधई होली
अकली बइठी तु छीजइ उणरउ मन कांइ न भीजइ. दूहा- पथ्थर भेदीजई नही जो घण वरसई बार
पल्लव मेल्हई रूखडां जिणस्युं प्रीति अपार. चालि- जिण रूखसुं प्रीति अपार तिण दीठइ हो इकरार
अणसहतां जीव उदासी जोउ पठर लोह विमासी... दूहा- नेह घणो अके मने अक तणे मन भंग
जोज्यो सगुण पटतरो दीपक अनई पतंग. चालि- जोज्यो दीपक नेह पतंगा अकांगई दाझई अंग
मच्छ जल विण अति दुःख आणी पिण पाणी प्रीति न जाणई
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दूहा- तिणि कारणि हे बहिनडी परिहर सोग विकार
कर्म तणां फल पामूआं भोगवणां निरधार... चालि- फल कर्मतणां भोगवणां दुख सोग तणी करि जरणां
अपनो मन हटकी लीजई संवेग तणो रस पीजई... समजावी मन वालीयो छोड्यो मन अंदोह
लागउ अकमनो थ(घ)णो धर्म सरीसो मोह... चालि- लागो धर्म सरीसो मोह छोड्यो मद मच्छर द्रोह
वीतराग हीआमां धारइ मिथ्या मति दूरि निवारई. दूहा- सती करई सुधई मनई किरिआधि पच्चखाण
आलोअण तप आदरई सीस वहई जिनआण.
दूहा