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सप्टेम्बर
जाणिवा २ । त्री चउथइ भांगइ तीर्थंकर - प्रत्येर्कबुद्ध जाणिवा ४ ॥
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छइ
२०१८
एह भी सूत्र माहि इम कहिउं छइ - प्रत्येकबुद्ध अनइ निन्हव अनइ तीर्थंकर, एहनइ काजि जे आहार नीपनुं हुइ ते आहार अनेरा महात्मा प्रतिइ कल्पइ । जिम तीर्थंकरनइ काजिरं समवसरण नीपनउ हुइ ते अनेरा महात्मा वावरइ, तिम आहार कल्पतर जाणिवउ ॥ १२ ॥
हिव जेतलइ प्रकारै आधाकर्म दोष लागइ ते वात दृष्टांतसहित कहइ
महात्मा अनइ इग्यारमी प्रतिमाधर श्रावक जाणिवा ३ । अनइं
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पडिसेवणा १ पडिसुणणा २ संवास ३ अणुमोयणा ४ य तं चउहा । इह तेण १ रायसुय २ पल्लि ३ रायदुद्वेहिं ४ दिनंता ॥१३॥ पडिसे० ॥ प्रतिसेवना आधाकर्म आहारनउ जिमवउ १ । तथा प्रतिश्रवणा - आधाकर्म आहार जिमवानी अनुमतिनउ देवउ २ तथा संवास - आधाकर्म आहार जे जिमइ तेहसिउं एकठउं वसिवउ ३ । तथा अनुमोदना आधाकर्म आहारना जिमणहारनी प्रशंसा करइं ४ । इम चिहुं प्रकारे आधाकर्म दोष लागइ । वि ए चिहुं प्रकारि आधाकर्म दोष ऊपरि च्यारि दृष्टांत कहई छ । पहिलु स्तेन चोरन दृष्टांत १ । बीजउ रायना बेटानउ दृष्टांत २ । त्रीजउ पालिनउ दृष्टांत ३ । चउथउ रायना विरोधीनउ दृष्टांत ४ । ए च्यारिइ दृष्टांत आगलि कहीसइ ॥ १३॥
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हिव एहवि च्यारि प्रकार वली वखाणइ छइ -
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सयमन्नेण वि दिन्नं कम्मियमसणाइ खाइ पडिसेवा १ । दक्खिन्नादुवओगे भणउ लाभुत्ति पडिसुणणा २ ॥१४॥ सय० ॥ सयं आपहिणी विहिरिंडं, अथवा अनेरइ महात्मानं आणिउं,
१. प्रत्येकबुद्धा जघन्यतः एकादशाङ्गिनः । उत्कृष्टतस्त्वभिन्नदशपूर्विणो देवतार्पितलिङ्गा अङ्गाश्च ॥
२. अर्हबिम्बबल्याद (द्य) र्थमपि कृतं कल्पते, तृतीयभङ्गोक्तसाधर्मिकजीवार्थं तु नैव । ननु यद्यर्हदर्थं कृतं कल्पते तत् कथं न तव (त्र) नो (नि) वास: ? सत्यम्, महाशातनादोषादिति ॥