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अनुसन्धान- ७५ ( २ )
जिम कामिनीवल्लभ, चंद्रमा जिम कलावंतु, पटी जिम गुणवंतु, हस्ती जिम दानवंतु, कंदर्प जिम रूपवंतु, निजविक्रमाक्रान्तक्षोणीमण्डलु, सकलमहीपालमौलायिमौलिशासनु, रिपुकुलकालकेतु, सरणागतवज्रपंजरू, पंचमलोकपालु, सीमाल वसिवर्त्तीया कीधा, गढ सघला ढाल्ला, सर्व दुर्ग आपणा कराव्या, समुद्र पर्यंत आज्ञा प्रवर्तावी, इणि परि एकछत्र निःकंटक राज्य परिपालइ ||३० (२९)॥
अथ प्रतीहार : रायनिर्देशकारी, सुवर्णमयदंडधारी, कंठकंदलितप्रलंबमान- मौक्तिकहारु, पहिलउं भेटी इक प्रतीहारु || ३१ (३०) ||
महोत्सव करावइ, मुशलादिक उचावइ, प्रधानपुरुष तेडावइ, सुवर्णमय कलश थपावइ, तलिया तोरण बांधई, प्रासाद वैजयंती झलकावइ, जोति मेल्हावइ, एकत्र जोइसी जोइं सुचाहिउ, ए० (एकत्र?) मंगल चारु दीजइ, तूरु वाजइ, कूरु खाजइ, बीडां दीजइ, अक्षतपात्र आवई, अर्थव्ययतणी संभाल नही ॥३२ (३१)॥
आस्थानसभा : भूमिका चढालिउ, बहुल कुंकुम तणउ छडउ, कस्तूरिकातणा स्तबक, बावन श्रीखंड गूहली, काचईं कपूरि स्वस्तिक, अवींधि मोती चउक पूरु, प्रवालातणे खंडि नंद्यावर्त्त रच्या, पुष्पप्रकर भारिया, कृष्णागरु ऊखेविउ, पंचवर्ण पट्टकूल उल्लोच, प्रलंब मोतीसरि, राजा स्वयमेव आस्थानि बइसइ |
ऊपरि मेघाडंबर छत्र, मस्तकि मुकुट, दीप्तिनिर्जितमातृमंडल, कर्णि कुंडल, वक्षस्थल स्थूल मुक्ताफल नवसर हारु, हस्ति सहस्रदल कमल, पुरुषप्रमाण सिंहासन, कटी प्रमाण पादपीठ, पश्चिमदिग्भागि थईयायतु, वामप्रदेशि मंत्रि, जिमणइ पुरोहित, बिहु पक्षे अंगरक्षकतणी ओलि, इसउ आस्थानमंडप ||३३(३२)॥
पवनोद्धूतध्वजपटलसहस्र, छत्त तरणिकिरण, सुभटहक्कारवित्रासितकारमण, भंभाभेरीनि:स्वानबधिरितदिगंत, बंदितणे वृंदि जयजयाकारि, प्रयाणक राजा चालिए, जाणे करि ब्रह्मांडभांड फूटइ लागउं, नक्षत्र तूटी पडइ लगां, धरा फाटी पाताल प्रवेस करइ, इसिउं राजाप्रस्थान ||३४ (३३) ॥
जयकुंजरि चडिउ, तुरंगमतणि थाटि परिकरित, पताकां फरकती, मेघाडंबरतणइ आडंबरि, सीकरि तणा डमालि, मंडलीकतणइ परिवारि चालिउ ॥३५ (३४) ॥