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________________ ३१४ अनुसन्धान-७५(२) वीसमां तीर्थंकर वारें थयो तिवार पछी जिन च्यार कहवाय, उपदेसकोस ग्रंथ वीचारी तेहथी ओ रास उपायो रे... काईक कवि चतुराई केलवतां ओछो अधिक करी निपाया मिथ्या दुकृत मूझ मन होयो श्री संघनि साख सूणीया रे.... रास ओ सूधा असूध ज कीधो लेई पंडित शुध करयो, विगर बुद्धि रचनाकी वाधे सूजस तिम करयो रे... संवत सतर बहोतेरा वरषे मृगशिर शुदि त्रीज भृगुवार रछाया, तपागच्छे श्री विजयप्रभ पाटें श्री विजयरत्नसूरी सवाया रे... तस गच्छमाहिं पूर्व पंचावनमें पाटें श्री लक्ष्मीसागरसूरी राया रे, तेहनि परंपरा चोथें पाटें श्री विद्यासागर उवझाया रे... तेहने पाटें शिष्य अनोपम छाजें श्री धर्मसागर पाठक करी गाया रे, श्री हीरविजयसूरीना आदेशथी कल्पकिरणावली करी ग्रंथ निपाया रे... ८ सिस पद्मसागर विबूध बुध राजें जित्या दिगंबर प्रति सूरीह राया रे, तस चरणांबूज सेवक अंतेवासी श्री कुशलसागर उवझाया रे... ९ तेहनें पाटे दिवांकर अनोपम विबुध उत्तमसागर गुरुराया रे, जेहनी किरति जगविख्यात सेवे सूरनर राणा राया रे... तस पद सेवक ,ग समान के कवि चतुरसागर गुण गाया रे, रास राग धरी सांभलस्यें तस घर मंगल आया रे... पाटणवारें बहुलां गाम ज तो पिण मुख्य छे सीओरी सवाई, भटेसरीआ जिहां राज्य करें छे तिहां धर्मी श्रावक सूखदाई रे... १२ सीओरीना संघ आग्रहथी रास करी म्हें अह निपायो रे, जिहां लगें गगनें इंदु रवी प्रत तिहां लगें थीर चौपाई थाय रे... १३ कवि चतुरसागर इंणि परि जंपें ढाल एकवीस करी कहवाई, भणि गणि सांभलें जे नर कहेस्ये तस घर नवनिधी ऋद्धि थाय रे... १४ ॥ इति मदनकुमर रास संपूर्ण ॥ Clo. A-15, अमीझरा एपा., नारायणनगर रोड, शान्तिवन, पालडी, अमदावाद-३८०००७ मो. ९५३७१६४५९ * * *
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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