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________________ सप्टेम्बर २०१८ - चतुरसागर - कृत मदनकुमार रास सं. - किरीटकुमार के. शाह शीलव्रतनुं माहात्म्य दर्शावती 'मदनकुमार रास' नामे आ रचना मुनि चतुरसागरजीए सं. १७७२मां बनावेली छे. पोतानी गुरुपरम्परा वर्णवतां तेमणे अन्तिम कलशनी ढाळमां जणाव्युं छे के प्रभुवीरनी पंचावनमी पाटे थयेला श्रीलक्ष्मीसागरसूरिना शिष्य श्रीविद्यासागर, तेमना वा. धर्मसागर, तेमना पद्मसागर, तेमना कुशलसागर, तेमना उत्तमसागरना शिष्य चतुरसागरजीए आ रास रच्यो छे. २१ ढाळमां पथरायेलो आ रास कथानायक मदनकुमारनी शीलदृढतानुं वर्णन करे छे. ३६० कडी प्रमाण रास छे. तेनी एक प्रति सं. १७८० मां रवनगरे चतुरसागरना शिष्य लालसागर शिष्य विशेषसागरे लखी छे, तेना परथी लिप्यन्तर करीने अत्रे प्रस्तुत कल छे. प्रति अशुद्ध छे, अथवा तो ते समयनी बोलचालनी भाषामां लखाई जणाय छे. प्रतिनी जेरोक्स नकल आपवा माटे आ. श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर - कोबानो आभारी छु. २८७ आ रास सं. १७७२मां पाटणवर देशे सीओरी गामे कर्ताए रच्यो छे. 'उपदेशकोश' नामक पुरातन ग्रन्थना आधारे आ रास रचायो छे. * नामें नवनिधि संपजें, मरुदेवी मात मल्हार, प्रणमूं तेह भावें सदा, तुं वल्लभ जूग आधार... गौतम आदें गणधर वली, भेटीस बे कर जोडि, मुख्य पटोधर वीरनो, भ्रात ईग्यार तणि छे जोडि. गजगामिनी हंसवाहनि, सारद थई प्रसन्न, वचन रस आपई मातजी, सांभलतां मन होई प्रसन्न. उत्तमसागर गुरु सोभता, गुण गीरुआ गुरुराज, पदयूगल तेहना सेवथी, पामीजई ज्ञाननो राज. ओ च्यारे मूझ उपरें, महिर थई महाराज, ज्ञानवेल विस्तारयो, प्रमाण चढइं मुझ काज. ४
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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