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अनुसन्धान-७५(२)
राजर नारी करे जेठ बीनत मीनत सो तम नेम मनावो. वेगुन ही मोकुं छोर गयो उस दोसर को मिस मोहिं बतावो; नेम निठोर कीउ चीत चोर करी घन सोर सबे फफडावो, राजुर प्रेम सुनावत नेमकुं हार शृंगार सवै गुण गावो. आस फरी ईस मास आसाढ गई सब राढ भयो सुखपूरण, सारंगनेंणी सूणी सुख चाहत नाह मनावहे हो दूखचूरण; भू रमणी सस तेहन कै वश आई करे घन संगमउरण, ज्योतिसरुपी सदा शिव मंदिर राजुर नेम लह्यो सुखपूरण. १२
कलश गुरु के सुपसाउ लही सुभ भावउ बनाय कह्यो ईह बारह मासा, उग्रसेन सुता नमि जो गुण गावत वंछित सी कतही सब आसा; सुध मास सराउण नौस निवासर सौंत सतर चोतीस उल्हासा, सुख लावन्यरत्न सदा सुप्रसादहीं केशवदास कुं लील विलासा. १३
ईति नेम राजुल बार मासा संपूर्ण