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अनुसन्धान-७५(२)
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पछइ तेड्यो दूतनर दीधउ कागल तेह वलतउ कुमर देखाडीउ रूपकला गुण गेह चाल्यो दूत उतावलो चुप धरी अतिसार । कुशलई खेमई अनुक्रमइ पुहतो नगर मझार राजभुवन जाइ करी कीधो चरण प्रणाम हर्ष धरी राय आगलिं मूक्यो पट चित्राम ततखिण ते निज करि ग्रही निरखइ रूप सुजाण कुमर कला देखी करी राजा थयो हराण औ औ जगमां अहवो नहीं को देवकुमार किरतारइ सइहथि घड्यो भूलो नही लगार तुरत सभाथी ऊठीउं गयो अंतेउरमांहि राणिनइ देखाडीउ कुमरी पासइ साहि निरखई राणी हरखस्युं मिल्यो जमाई चंग सोना केरी मुद्रडी जडीई ऊपरि नंग सामी ओ सगपण विना हवइ घडी जे जाइ ते सघली अक्यारथी वरस समाणी थाइ कहइ राजा ओ नातरंउ थास्यइं भलउं मंडाण । जात्र नंदीसर जाइस्यां करिस्यां तेणइ ठाण विद्याधर मिलस्यइ घणा जिनवर यात्र निमित्त राय प्रह्लादन आवस्यई होस्यइ हर्ष विचित्र
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ढाळ - ३ : मधुकरनी, राग - धन्यासी राय अंजनकेत चालियो, जिनवर करण भगति, साजण चउरंग सेना सजी करी विद्याधररी सगति... सा... ६६ जगपति भेटण चालिउ आणी हरख अपार... सा सिवसुख केरइ कारणइं प्राणीनइ हितकार... सा ६७ साथ कुटुंब सहु को चल्यो घण आणंद घमंड... सा नवल विमान रचाविया पहिला नइ परचंड... सा ६८