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सप्टेम्बर
२०१८
जग माहि मोटउ अछइं सदगुरु नउ उपगार जाई मानई नही साचा तेह गमार मन सुधि सहु प्रणमी करी करस्युं सती वखाण सुणिज्य कमना थई जिम होवइ जनम प्रमाण पवनंजय राजा तणी अंजना सुंदरि नारि सुकथा सुणतां थको होस्यई अल्प संसार सती शिरोमणि अंजना सील विभूषण देह नाम जपंतां प्रहसमई आपई रिधि अछेहु तिणरउ सखर संबंध छइ, मीठउ साकर डाख रस लेज्यो भवियण हमे भाखई कवियण भाख कि (जि)म तिणि सूधउ मन करी, कीधां सील यतन्न सावधान सहु थायज्यो सांभलवा सुवचन्न
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ढाळ १ : चोपई,
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राग-रामगिरी
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देवतणा जोअण ओक लाख, जंबूदीपना प्रवचन भाख तासु परिधिरउ सुविचार तिणि लाख नइ सोल हजार. बिसय सतावीस जोयण मान अडवीस धणुसय अधिक प्रमाण तीन कोस सार्धांगुल तेर अह वात मांहिं फार न फेर भरत क्षेत्र तसु भीतर भणुउ पण सय छवीस जोअण गिणउ तिणि विचि वेअढगिरि अभिराम विद्याधर वसवारउ ठाम उचपणइ जोअण पंचवीस, बिमणो पहिलपणइ सुजगीस साव रूपानो ते झलहलइ, जोवा जीव घणु टलवलइ ते गिरि पासइ नगर सुचंग नाम पह्लादनपुर अतिचंग पाखलि फिरतो प्रौढ दुरंग दुर्जननो तिहां न चलई ढंग झलकई कोसीसारी उलि चिहुं दिशि दीसइ पोढी पोलि सूदी हाट श्रेणि विस्तार फांदिल साह करई व्यापार छोहबंध ऊंचा आवास जाणे सूरिज बिंब प्रकास छयल घणा सुख रस भोगवई सरखो काल सदा जो गवई.
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