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सप्टेम्बर - २०१८
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विधानो थतां रहे छे पण रसानुभूति- सातत्य जळवाई रहे छे. प्रवाही अने वेगवंती शैलीमां कथा गति करे छे.
प्रह्लादनराय अने राणी पद्मावतीना पुत्र पवनंजयने ऋषभदत्त साथे अन्तरङ्ग मैत्री स्थपाय छे, अञ्जनपुरनी राजपुत्री अञ्जनासुन्दरी साथे पवनञ्जयना लग्न थाय छे. ऋषभदत्तनी साथे ऊभा रहेला पवनञ्जये अञ्जनानी तेनी दासी साथेनी वात सांभळी अने तेना मनमा अञ्जनाना चारित्र्य पर सन्देहे जागे छे. अञ्जनाना कोई अन्तरायकर्मना उदयथी तेनो पति तेनो त्याग करी दे छे. बीजा खण्डनी शरुआतमां लङ्काधिप रावण साथे, वरुणनी सामेना युद्धमा जती वखते पवनञ्जय अञ्जनानी उपेक्षा करी नीकली जाय छे, पण मार्गमां रोकायेलो पवनञ्जय चक्रवाकचक्रवाकीनो विरहालाप सांभळे छे अने ऋषभदत्तनी परोक्ष टिप्पणीथी अञ्जनाने मळवा ओक रात माटे घेर आवे छे, अने पाछो चाली जाय छे. सगर्भा पत्नीना शील पर सासु-ससरा शंका लावी तेने दासी साथे वनमां मोकली दे छे. अनेक आपत्तिओ वच्चे शीलवंती नारी झझूमे छे. दासी चम्पकमालानी अनन्य सहाय मळे छे, हनुमन्तना जन्मवर्णनथी बीजो खण्ड पूरो थाय छे. त्रीजा खण्डना आरम्भमां अंजनाने गिरिगुफामा रहेतां तपस्वी मुनिना दर्शन थाय छे. मुनिश्री कर्मराजाना उदयनी अने संयमधर्मनी देशना आपी तेने तेना पूर्वभवनां कर्मोनी वात करे छे. अंजना व्रत-जप-तप-आराधनामां मग्न ज रहेती होय छे. त्यां तेना मामा यात्रा करीने पाछा वाळां अंजनाने वनमां जुओ छे अने त्रणेने - अञ्जना, हनुमन्त, चम्पकमालाने – पोताने घेर लई जाय छे. पवनसुत हनुमन्त बळवान छे तेने निहाळी अञ्जना आश्वस्त रहे छे. युद्धमांथी पाछा फरेला पवनञ्जयने बनेली घटनानी जाण थतां अत्यन्त दुःख थाय छे. चारेतरफ तपास करावतां मामाने त्यांथी अञ्जना मळतां बन्नेनुं मिलन थाय छे. समय जतां वैराग्य पामी बन्ने चारित्र अङ्गीकार करे छे. कथामां शीलना गौरवनी स्थापनाने केन्द्रित करवामां आवी छे.
रचना दुहा, चोपाई अने भिन्न भिन्न देशीओमां, रागोमां प्रयोजेला ढाळोमां करवामां आवी छे. भाषा सरळ छे, तेमां राजस्थानी / मारवाडी भाषानी असर विशेष वरताय छे. उपमा के दृष्टान्त जेवां अलङ्कारो, तेमज अन्त्यानुप्रास-यमक सहज रीते योजे छे. कविले छन्दोनो विनियोग को नथी. घणे स्थळे कडीना अर्धचरणना आवर्तनथी संरचना बने छे. अकंदरे रचनारीतिमां सादगी अनुभवाय छे.
वर्णनोनी समृद्धि ते कृतिनी विशेषता बने छे. प्रह्लादनपुर नामना ओक गिरि पासेना नगरनुं वर्णन, अञ्जनानी सुन्दरतानुं वर्णन अने तेना पिता अञ्जनकेतना नवल विमाननुं वर्णन कर्यु छे. पवनञ्जय / अञ्जनाना लग्न समये साजन-महाजननां झीणवटभर्यां वर्णनो मळे छे. वरराजानी माह्यरामां जवा सुधीनी विधिनुं वर्णन ओक साधु कवि