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________________ २४४ अनुसन्धान- ७५ (२) धन धन नरनारी जे प्रणमे तुम्ह पाय, धन धन ते दीहाडो जिण तुम्ह समरण थाइं । धन धन ते जिहां (हा) जे तुम्ह गुण नित्य गाय, जस कुल अजूआल्यू धन ते माय ने ताय ॥११०॥ वडलीनो वासी व्यवहारी शुभचीत, गल्हा कुल दीवो अमीचंद सुपवीत । संवेगी सूधो कीधो त्याग सचीत, एह तवन रच्युं मे भणवा तेह निमीत ॥ १११॥ संवत सतरसें तेरो शुभमास, सूदि सातम शुक्रिं स्वातियोग शुभतास । सूरि विजयप्रभ राज्य चित्त उल्लास, तयरवा मांहिं थूणीओ रही चोमास ||११२॥ कलश तपगच्छ अंबर अरुण उदयो, श्री हीरविजयसूरीश्वरो, - निज हस्त दीक्षत सु-पर शिक्षत श्रीशुभविजय कविसरो । तस चरण पंकज प्रवर मधुकर, भावविजय बुद्धिसुंदरो, सिद्धिविजय कहे स्वामी संप्रति, भविक जनमंगल करो ॥११३॥ = घणा बहुतेरा कुमारिका = कुंवारपाठुं अमृता = गळो वंशकारेलडा = वांस कारेलां लूणो = लवणक नामे वनस्पति, जेने बाळवाथी खार पेदा थाय छे. खरसूआ खरसइयो खेलूडा = खिलोडीकंद (?) सूरिवाल्होल = सुक्करवेल (?) माडली = मा घरटा-अरहट्ट रेंट नरघि = ? = = शब्दकोश * * * पांतरी को = * ? = वचन व्यलख्या = ओलख्या दुरति = दुरित तयरवा = सु=पर = स्व=पर तवन = स्तवन नरिय = नरक अलजियो = थनगन्यो आरिज - अरिज आर्य निस्संबलो तेरवा / तेरवाडा (?) = = पराधीन
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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