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अनुसन्धान- ७५ (२)
धन धन नरनारी जे प्रणमे तुम्ह पाय, धन धन ते दीहाडो जिण तुम्ह समरण थाइं । धन धन ते जिहां (हा) जे तुम्ह गुण नित्य गाय, जस कुल अजूआल्यू धन ते माय ने ताय ॥११०॥ वडलीनो वासी व्यवहारी शुभचीत, गल्हा कुल दीवो अमीचंद सुपवीत । संवेगी सूधो कीधो त्याग सचीत, एह तवन रच्युं मे भणवा तेह निमीत ॥ १११॥ संवत सतरसें तेरो शुभमास, सूदि सातम शुक्रिं स्वातियोग शुभतास ।
सूरि विजयप्रभ राज्य चित्त उल्लास, तयरवा मांहिं थूणीओ रही चोमास ||११२॥ कलश तपगच्छ अंबर अरुण उदयो, श्री हीरविजयसूरीश्वरो,
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निज हस्त दीक्षत सु-पर शिक्षत श्रीशुभविजय कविसरो ।
तस चरण पंकज प्रवर मधुकर, भावविजय बुद्धिसुंदरो, सिद्धिविजय कहे स्वामी संप्रति, भविक जनमंगल करो ॥११३॥
= घणा
बहुतेरा कुमारिका = कुंवारपाठुं अमृता = गळो
वंशकारेलडा = वांस कारेलां
लूणो = लवणक नामे वनस्पति, जेने
बाळवाथी खार पेदा थाय छे.
खरसूआ खरसइयो खेलूडा = खिलोडीकंद (?) सूरिवाल्होल = सुक्करवेल (?) माडली = मा घरटा-अरहट्ट रेंट
नरघि
= ?
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शब्दकोश
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पांतरी
को
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= वचन
व्यलख्या = ओलख्या
दुरति = दुरित तयरवा =
सु=पर = स्व=पर
तवन = स्तवन
नरिय = नरक अलजियो = थनगन्यो
आरिज - अरिज आर्य निस्संबलो
तेरवा / तेरवाडा (?)
=
= पराधीन