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________________ सप्टेम्बर - २०१८ २२७ तस पट्ट उदयाचल रवी रे, श्री विनयप्रभसूरिस चरण करण गुण आगला रे, जगमां लीध जगीस ५ सु० तस पट्ट रयण भूषण समा रे, महिमाप्रभ सूरिंद जस महि[मा] जगमें घणो रे, धीरज गिरिम गिरीद ६ सु० सकल सिद्धांतवेत्तावरू रे, निर्मल चारित्रवंत वचन अमृतरस वरसता रे, साहि सभामें महंत ७ सु० तस पाटें शिष्य तेहना रे, संप्रति सूरि निज गुरुना सुपसायथी रे, श्री संघ चढतइ सनूर ८ सु० प्रसीद्ध पत्तनमांहि जाणीइ रे, जयतसी सुत श्रीकार दोसी तेजसी दीपता रे, साहुकारां सिरदार ९ सु० सहस्सकोट भरावीउ रे, बिंब हजार चउवीस-(१०२४) करी प्रतिष्टा उत्सवइं रे, श्री भावप्रभसूरीश १० सु० यतः रूपक ढाल कडखानी सकल सुखकारिणी दोष भयवारिणी, सरसती भगवती पाय थुणीइ जास सुपसाय कविराय हिवइ वर्णवई, ___ नगर सोभनीकनी कीर्ति सुणीइ १ सु(स) श्री श्रीमाल सुविशाल वंशें वरू, दोसी तेजसी तेजिं दीपइ नगर सणगार महाजन शिर सेहरी, वांकडां वयरीयाने जे जीपई २ स० निजपरियागत रीत राखण भणी, __ असार संसारमा सार जांणी सफल निज जन्म करवा भवी तारवा, वारवा सयल दुरगति खांणी ३ स० पारसनाथ जगनाथ आदि सहू
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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