SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१२ अनुसन्धान-७५(२) फूल सुगंधा पंचवरणतणा, सुंदर गुंथी रे माल ओ० श्री जिनराजनें कंठई थापीइं, टालीइ पापना जाल ओ० ॥११॥ वा० जपमाली सुंदर दारुतणी, जपीइ जिननां रे नाम ओ० विविध प्रकारनी सुंदर उषधी, हुइ प्रतिष्टानइ काम ओ० ॥१२॥ वा० खाट खटोलडी मांची ढोलीया, विविध सुखासण सार पाटि पीठ पाटी नि पाटला, ग्रहइ निरवद्य अणगार ओ० ॥१३॥ वा० डा. वेष शोभावं साधनो, डांगडी गलीयां आधार ओ० धोकै वनफल झूडी खाईइं, चालवू जेह हथीयार ओ० ॥१४॥ वा० वस्त्र अनोपम वणसइकायनां, लोकनी राखइ रे लाज ओ० । व्रत लीधइ पणि जिन खंधई धरइ, संयमइ साधुनइ साज ओ० ॥१५।। वा० ए विण कुण आछादइ इछनई, कुण वली टालइ रे टाढि ओ० तापनइ वारण जलतारण तरु, मुंकि तुं कूडि रे राढि ओ० ॥१६॥ वा० भूख दुख समावइ सुख करई, अन्न अमारी रे जाति ओ० देवदालि रोदंतीथी हुइ, सोवन सिद्धि विख्यात ओ० ॥१७॥ वा० मूलि मनोहर ओषध जेहनां, टांलइ सहुनो रे रोग ओ० शाक पाक पचनविधि काष्ठथी, जेहथी सुखीयो रे लोग ओ० ॥१८|| वा० तेल सुगंधा विणिसइ जातिथी, उत्तम नरने रे भोग ओ० चंदन वास सहूनें वालही, रायरांणीनइ संयोग ओ० ॥१९॥ वा० इम अनेक अमारी जातिथी, लोक लोकोत्तरें योग ओ० श्रीभावप्रभसूरीश्वर इम कहइ, तरु उपगारीआ लोगि ओ० ॥२०॥ वा० दहा हिवइ ओरसीइ उम्मही, कर्यो वाणी विस्तार गिरिवर गुफा गजावतो, सिंह समोवड सार जड पणि चडवड बोलणो, घटसरसति साख्यात जाणुं दैवत भावथी, सभा समीक्ष्य विख्यात २ रसीउ ओरसीउ जूड, कसीउ कटिपट्ट बंध हसीउ पणि खसीउ नही, धसीउ वाग् प्रबंध ३ संगति ताहरइ सापनी, सीधदायक कुठार पवन तुझ गंध चोरटो, तु तुझ किम रहइ कार ४
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy