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अनुसन्धान-७५(२)
शक्रई भरत कंठे ठवी जी, दिव्य मनोहर माल भरतरांणी सुभद्रा तणइ जी, कंठि बीजी सुविशाल ॥१३॥ ध० निजमंदिर नृप आवीया जी, तेडीया संघ बहुमान श्रीभावप्रभसूरि कहइ जी, संघपति काज प्रधान ॥१४॥ ध०
. दहा
करइ सजाई संघनी, पांयक छन्नू कोडि वाहन सयल सणगारीयां, दीपइ होडाहोडि ॥१॥
ढाल - [२]
झूबखडानी यात्रालगन ठरावीउं दीधां बहुलां दान भरत नृप संघपति, आंकणी अष्टाह्निक उच्छव कर्या निजपुर चैत्य प्रधान १ भ० शत्रुजयगिरिवर यातरा करवा सहुनइ कोडि भ० । धन भरतई कीधी जिणें संघपतिनी कर जोडि २. भ० हाथ नालेर सोहावीओ आखे तिलक निलाड भ० संघपतिपद जयघोषणा पूरवा संघनी लाड ३. भ० रतनजडाव अंबाडिइं झूल सोवन झलकंत भ० गज उपरि चक्कवइ चढ्या धणण घंट रणकंत ४. भ० सोवनरथ ऊपरि ठविउं निजहर देवहर ताम भ० मनोहर मणि रयणांतणुं दीपतुं तेज उद्दाम ५ भ० छत्रत्रय तेह ऊपरें चामर सार विजाय भ० इणि विधि रथ को आगलिं हर्ष कल्लोल न माय ६ भ० विविध सुखासण पालखी नारि चओसठि हजार भ० झमकतां झांझर पायलां घूघरे रथ झमकार ७ भ० चउविह संघ परिवारस्युं हयगय राज राजान भ० भरत सिधाचल आवीया इणविधि दीध निसान ८ भ० बंदि बिरुद संगीतस्युं वधाव्यो गिरिराज भ० । मोती सोवनफूलडें इणि विधि कीधलां काज ९ भ०