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________________ सप्टेम्बर - २०१८ १८३ खेटकपुर[खेडा]मंडण भीडभंजन पार्श्वनाथ- स्तवन सं. - मुनि मुक्तिश्रमणविजय आ कृतिनी रचना वि.सं. १८५२, आसो सुदि १०, भृगुवार (शुक्रवार)ना दिवसे उपाध्यायश्री उदयरत्नजी म.नी परम्परामां थयेला मुनि राजरत्नजीए करेल छे. आ कृतिमां कर्ताए खेडाना इतिहासनी साथे पार्श्वप्रभुना छेल्ला गणधर केशीस्वामीनी परम्परामां थयेला पू. रत्नप्रभसूरिनी परम्परा तेमज तेमनाथी थयेल द्विवन्दनीक गच्छनी पण वात करेल छे. सरल अने मनोहर शब्दोमां कर्ताए खेडा केवी रीते वस्युं, तथा श्रीभीडभंजन पार्श्वनाथ प्रभु त्यां केवी रीते पधार्या, तथा आजुबाजुना हरियाला, मातर, अमरावती, खांधली, नांदोली, लिंबासी वगेरे गामोनी पण वात करेल छे. वि.सं. १७७५मां वाचक श्री उदयरलजीना उपदेशथी नवा देरासर, उपाश्रयनुं निर्माण थयुं अने तेनी प्रतिष्ठा श्रीदानरत्नसूरिजीए करावेली, इत्यादि विशिष्ट इतिहासयुक्त आ कृति बहु ज सरस छे. __ अन्ते उदयरलजीना वंशमां उत्तम-जिन-क्षमारत्न-राजरत्नजी थयेला छे. एम पोतानी वंशपरम्परा कर्ताए मूकेली छे. __ श्रीचन्द्रसागरसूरि ज्ञानमन्दिर, खाराकुंआ, उज्जैन प्र.नं. २६६१नी Xerox आशापूरण जैन ज्ञानभण्डार वती बाबुभाई बेडावाळाए आपी, ते बदल तेमनो खूब खूब आभार. ॥ उपाध्याय-श्रीउदयरलसद्गुरुभ्यो नमः ॥ दूहा सकल-करम-अरी वारवा, सुर-वधु-वंदीत जेह, भीडभंजन प्रभु पासना, पय प्रणमुं धरी नेह ॥१॥ वली वंदुं वागेश्वरी, लही गुरुनो आदेश, वामा सुत खेटकपुरे, गुण व्रणवू लवलेश ॥२॥
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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