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शील राणी कलावती, कर नवपलव थाइ रे । शीलइ द्रुपदी गहगही, लेइ संयम सुरगति जाइ रे || गी० ॥४॥ इणि परि शीअल तणा गुण गातां, मुज रसना पावन थाइ रे । जे नर-नारी सांभलइ, तस दुरगति दूरि पलाइ रे ॥ गी०॥५॥ श्रीविजयराजसूरीस्वरू, तपगछपति गुणखांणि रे । दयाविजय विबुध तणो, सुखविजय वदि शुभ वांणि रे ॥ गी० ॥६॥
करूर = क्रूर
गीतरथ = गीतार्थ - शास्त्रज्ञ साधु
पिंडग = पंडक नपुंसक
मांननी = मानिनी
विस
वश
रलिं = रळवामां पूरी तूणि = ?
।। इति श्रीनववाडि भावभास संपूर्णम् : श्री जमालपुर लिखीतं ॥
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शब्दकोश
अनुसन्धान-७५ (२)
स्याकनइं = शाकने कोहला = कोळं
कुडखला = कुड्य - दीवाल, खला - खळं (?)
वसुत = वस्तु (?) अही-डस = सर्पदंश
सुरति = सुरत- क्रीडा अणोदरी = ऊनोदरी व्रत
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