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सप्टेम्बर - २०१८
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भाजन भागु अन्न गयुं जी, भूख्या रह्या त्ते ह गमार । इणि दृष्टांति जांणजो जी, उणुं उठ्युं कवल बि-च्यार ।।म०॥५॥ श्रीजिनराजइ इम कडं जी, सीअल समो नही कोइ। सुखविजय कहि सांभलो जी, एह ज परमनिधांन ।म०।६।।
इति अष्टम वाडि ॥८॥ ढाल - बिं बिं मुनिवर विहिरण पांगर्या जी - ए देशी ॥ नवमी वाडि सुणो शिणगार तणी जी, सोभा म करो अंग रे, वेस विवधि परि आछां लूगडां जी, क्षणि-क्षणि म धुओ अंग रे ॥१॥ ऋषजी राखोनइं मन वसि आपणुं जी, हरसइ नारी तुझ मन रे, सिवसुख पामइं शीलई प्राणीउ जी, पालई नर ते धन रे ॥३०॥२॥ जिम एक प्रजापति माटी दिन-दिनई जी, लेवा जाइ घरकांम रे । खणतां मूढई रे पूण्ये पामीउ रे, रयण अमुलिक धांम रे ॥ऋ०॥३॥ सरोवर कांठई आणी धोइउ जी, मुकीओ एक पासइ लेइ रे । रात्तु रंगई रयण ते झलहलइं जी, आमीष संकाइ धरीउ तेइ रे ॥ऋ०॥४॥ झडपी चील लेइ गइ वेगली जी, नाखू कूप मझारि रे । देखी कुभार करइ तेहां ओरंतो जी, तिम ब्रह्मचर्य हरसई नारि रे ॥ऋ०॥५॥ इम नव वाडि विशेषइं आदरो जी, जिम लहो अविचल ठांण रे। सुखविजय कहिं मनमथ सु करइं जी, जे होइ चतुर सुजांण रे ॥३०॥६॥
इति नव(म) वाडि ॥९॥ ढाल - गीरुआ रे गुण तुम्ह तणा - ए देशी ॥ गीरुआ रे गुण शीलना, जे पालई नर-नारी रे । जगमां कीरति तेहनी, मली गावि देवकुमारी रे ॥गी०॥१॥ शीलई नवनिधि पांमीइ, शीलइ अरथ भंडार रे । शालई नारद उधर्या, शीलइ शिवकुमार रे ॥गी०॥२॥ शीलई सुदर्शनजी जाणीइ, शीअलई जंबूकुमार रे । शीअलई शी(सी)ता रामनी, वली सती सुभद्रा नारी रे ॥गी०॥३॥