SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७० अनुसन्धान- ७५ (१) 'अनुसन्धान 'नो परिपाक पामी शकशे ! शक्यता रोमांचकारी नथी? 'अनुसन्धान' नुं पंचोतेर पछीनुं प्रयाण वधु सार्थक अने विस्तृत बनो ओवो शुभ भाव आ सूचनो प्रेरे छे. * जयन्त मेघाणी ४०२, 'सत्त्व', ग्रीन पार्कनी बाजुमां, फूलवाडी, भावनगर - ३६४००२ मो. ९८९८००७१३० आपश्रीजी अने विशिष्ट विद्वान् हरिवल्लभ भायाणी साहेबे प्रारम्भेली आ सरस्वतीनी उपासना अविरत चालु छे अने हवे ७५मा पडाव उपर आ यात्रा पहोंची छे. आ ओक विशिष्ट कक्षानी ज्ञानोपासना खरेखर श्रमसाध्य अने आनन्दप्रद छे. अनुसन्धानना सम्पादकोने जेटला अभिनन्दन आपीओ तेटला ओछा छे. प्राकृतसंस्कृतभाषामां अने विशिष्ट गणी शकाय ओवी रसाळ - प्रौढशैलियुक्त कृतिओ आमां वांचवा मळे छे. अनेक चिन्तनसभर लेखो पण आ पत्रिकामां रजू थाय छे. विविध उत्तमसामग्रीथी भरपूर आ पत्रिका माटे अहोभाव सहज प्रगटे तेवुं छे. विज्ञप्तिपत्रो - विज्ञप्तिलेखोना अङ्को जे प्रकाशित थया ते खरेखर अक विशिष्ट कक्षानुं कार्य कही शकाय . सम्पादकना लेखो - संशोधन अंगेनी माहिती आ बधुं सहज स्फुरणारूपे प्रगट थतुं होय छे. पत्रो - विहंगावलोकन अमांथी पण ओक दृष्टि मळे तेवुं होय छे. घणी कृतिओना अर्थो मारा जेवाने पण समजाता नथी पण कृतिओनी रचनासंशोधनशैली आ बधुं जोतां नवं नवं शीखवा मळे छे. आपणी आ सरस्वतीनी सुमधुर यात्रा शीघ्र १०० मा पडावे पहोंचे अने अ शताब्दी महोत्सवने जाणवा-माणवा मळे ओवी अन्तरनी शुभकामना व्यक्त करूं लि. साध्वी चन्दनबालाश्री जेठा भाई पार्क, पालडी, अमदावाद
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy