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अनुसन्धान-७५(१)
सौनो अनुसन्धान'ने समृद्ध करवामां फाळो रहेलो छे.
__ शरुआतनां आठेक वर्षों श्री हरिवल्लभ भायाणी साथे काम कर्या बाद, पछीनां वर्षोमां आ सम्पादन- कार्य आ.श्री शीलचन्द्रसूरिजी महाराज संशोधननां विविध पासाओनी छणावट साथे अने खूब जहमतपूर्वक संभाळी रह्या छे. आगळना अङ्कोर्नु पू. भुवनचन्द्रजी महाराज विहंगावलोकन पण आ विषयना लेखो उपर प्रकाश पाडे तेवू होय छे. 'अनुसन्धान'ना आगळ-पाछळनां पानांनां आवरणचित्रो आपणा कलासभर वारसानो परिचय करावे तेवां होय छे. 'अनुसन्धान'नो अङ्क हाथमां आवे अने बीजं कांई वांचीओ के न वांचीओ, पण वाचक आवी बधी बाबतो उपर रसपूर्वक अने जिज्ञासापूर्वक नजर फेरवे ज छे.
ज्ञानभण्डारोमां सचवायेला विशाळ साहित्यमां गुरु महाराजने उद्देशीने लखायेला विज्ञप्तिपत्रोनो समावेश थाय छे. आ विषयना लेखो प्रकाशित करतां आवा विज्ञप्तिपत्रो मळतां ज गयां, मळतां ज गयां अने तेना अक के बे नहीं पण चार दळदार अङ्को प्रकाशित थया. आ ज रीते देश-विदेशमा ख्याति पामेल विद्वानोना निधन बाद तेमने श्रद्धांजलिरूपे तैयार थयेल 'अनसन्धान'ना विशेषाङ्को पण नोंधपात्र छे.
आ. श्री शीलचन्द्रसूरिजी पोतानी अन्य जवाबदारीओ अने प्रवृत्तिओनी वच्चे पण 'अनुसन्धान' सामयिकना सम्पादननी जवाबदारी जे रीते वहन करी रह्या छे ते माटे आपणे सौ तेमना अत्यन्त ऋणी छीओ. आवा सामयिकने शरु करवू, शरु कर्या पछी तेने टकावQ अने सारी रीते प्रकाशित करवू ओ दुष्कर कार्य तेओ खूब सारी रीते करी रह्या छे अने तेमना आ कार्यमां तेमना विद्वान शिष्योनो महत्त्वनो फाळो छे ते ओछी महत्त्वनी घटना नथी.
'अनुसन्धान'ना २५ वर्षोना अङ्कोमा समाजने जे ज्ञानवारसो मळ्यो छे तेनी समृद्धि जरा पण ओछी नथी. भविष्यमां आनाथी पण वधारे समृद्ध अङ्को पूज्यश्री, तेमना विद्वान शिष्यो अने विद्वान लेखको द्वारा आपणने मळ्या करशे एवी आशा जराय अस्थाने नथी.
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