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________________ ४४ अनुसन्धान-७५(१) परम उपासको जैन संघने मळता रह्या छे ओ ओक आश्वासनरूप घटना छे. वर्तमानमा आचार्य शीलचन्द्रसूरिजी जेवा श्रमणरत्नो ओ कार्यने आगळ वधारी रह्या छे. ___ आवा संशोधनप्रधान सामयिको शरु थया पछी बहु लांबो समय चालता नथी. कहोने के, लगभग अनुं बाळमरण थाय छे. 'अनुसन्धान', प्रकाशन ओकधारुं टकी रह्यं छे अने हवे ओ भरयुवानीमा प्रवेश्युं छे तेनो मुख्य यश अनुसन्धानना स्वप्नद्रष्टा, आयोजक, सम्पादक अने सर्जक आचार्य शीलचन्द्रसूरि महाराजने जाय छे. तेमनुं ओक जाणीतुं विशेषण 'विद्वद्जनवल्लभ' बे रीते सार्थक बनेल छे. विद्वद्जनो तेमने वल्लभ ओटले के प्रिय छे अने विद्वद्जनोने तेओ पण प्रिय छे तेनी प्रतीति अनुसन्धान' तथा 'नन्दनवनकल्पतरु'ना अङ्को जोतां बरोबर थाय छे. प्राकृतभाषा अने जैन साहित्य विषे व्यापक अध्ययन अने तटस्थ संशोधन करवामां ऊंडी रुचि धरावता अने ते माटे निष्ठापूर्वक पुरुषार्थ करी रहेला आचार्य शीलचन्द्रसूरिजी महाराजनी ज्ञानप्रसारनी विविध प्रवृत्तिओमां जैन, जैनेतर, भारतीय अने विदेशी अनेक विद्वानो तेमनी साथे हृदयथी जोडाता गया छे. 'अनुसन्धान'ना अङ्कोर्नु अवलोकन अने अध्ययन करतां तेनो वधु ख्याल आवे छे. ___ 'अनुसन्धान'ने समृद्ध बनाववामां विद्वान जैन मुनिओ - धुरन्धरविजयजी, प्रद्युम्नविजयजी, भुवनचन्द्रजी, महाबोधिविजयजी, कीर्तित्रयी, त्रैलोक्यमण्डनविजयजी, सुयशविजयजी, सुजसविजयजी जेवा अनेकनो फाळो छे. अ ज रीते गृहस्थ विद्वानोमां श्री दलसुखभाई मालवणिया, श्री हरिवल्लभ भायाणी, श्री नगीनदास जे. शाह, श्री जयन्तभाई कोठारी, श्री सागरमलजी जैन अने नलिन बलबीर जेवा देशविदेशना जैन साहित्यना सुप्रतिष्ठित विद्वानोना मननीय लेखोथी 'अनुसन्धान' समृद्ध थतुं रडुं छे. आ उपरान्त अनेक नवोदित लेखको, लेखिकाओ, साध्वीजीओनो पण अमां सहयोग रह्यो छे. ___ संवेदनशील हृदय अने अति सूक्ष्म बुद्धिप्रतिभा धरावता शीलचन्द्रसूरिजी ज्ञानमार्ग अने भक्तिमार्गना निष्ठावान साधक छे. सात्त्विक साहित्य, शास्त्रीय संगीत, चित्रकला अने शिल्पकला जेवी विविध कलाओ अने भारतीय तत्त्वज्ञान तथा विविध धर्म परम्पराओनुं व्यापक अने मर्मग्राही अध्ययन करनारा शीलचन्द्रसूरिजी महाराजनी सर्जनात्मक प्रवृत्तिओ पण व्यापक रही छे.
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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