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निवेदन
संशोधन एटले एक प्रकार उत्खनन : Excavation.
पुरातात्त्विक अथवा आर्कियोलोजिकल उत्खननमां धरतीना अमुक प्रदेशविशेष पर खोदकाम करीने ते धरतीना नहि देखाता एवा पुरातन अंशने के स्वरूपने अनावृत-प्रगट करवानुं होय छे. उपरना अनेक थर हटे पछी भीतरमां दटायेलो भूतकाळ, भूतकालीन अवशेषो, अने ते द्वारा इतिहास, प्रगट थतो होय छे, जे घणीवार आपणने सेंकडो, बल्के हजारो वर्ष पूर्वेना कालखण्डनी यात्रा करावे छे.
कंईक ए ज रीते शब्दबद्ध कृतिगत शब्दो पर उत्खनन करवामां आवे त्यारे, कृतिना मूळ रचयिताने अभिप्रेत शब्द अने अर्थ सुधी आपणे पहोंचता होईए छीए. ज्यारे ए मूळ शब्द के पाठनी भाळ मळे त्यारे आपणने ख्याल आवे ते असल पाठ पर, समयना वहेवा साथे, केटला बधा थर जामी गया छे के जामता गया छे.
__एक वार भायाणीसाहेबे 'जुगनू' (आगियो जीव) शब्द पर पोते करेलु उत्खनन समजावतां तेनुं मूळ 'ज्योतिरिङ्गण'मां होवानुं दर्शावी आपेलं. ते क्षणे शब्दोना पूर्व जन्मो के पूर्व रूपो विषे जाणवा माटे केटली सज्जता जोईए तेनुं भान पडेलु; अने त्यारे पाठ-शोधन- कार्य केटलुं महत्त्व- तेमज जवाबदारीभर्यु छे तेनो पण संकेत मळेलो.
पुरातत्त्वमा उत्खनन एटले आडेधड खोदी नाखवू नहि; एक तज्ज्ञ के निष्णात पुरातत्त्ववेत्ता, जे भूमि पर उत्खनन करवानुं होय तेना इतिहासने बराबर जाणतो होय, ते स्थान पर जे प्रकारना बांधकामनो तेमने अंदाज होय तेना नकशापुरातात्त्विक नकशा तेना दिमागमां बराबर स्पष्ट होय; अने पछी ते जे ते स्थळ पर लाइनदोरी आंकी बतावे अने ते प्रमाणे मजूरो कोश-कोदाळी-त्रीकम वगेरे ओजारो चलावीने खोदकाम करे; जेथी अंदर दटायेला पुरावशेषोने नुकसान न
थाय.
__ कंईक ए ज रीते शाब्दिक पाठ-शोधन, पण छे. शब्द नजर सामे होय, तेना मूळनो नकशो शोधके बनाववानो होय छे, अने पछी भाषा, ध्वनि, समान सन्दर्भो, अर्थसंगति, प्रकरण इत्यादि ओजारोनो विनियोग करतां जईने ते शब्दना