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सप्टेम्बर - २०१८
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पुरुषार्थ, गुजराती भाषामां जैनविद्या क्षेत्रना विद्वद्भोग्य सामयिकनो प्राय: अभाव अने सामे छेडे घटता जता अभ्यासनिष्ठ संशोधकीय वलणने ध्याने लेतां 'अनुसन्धान' तेनुं अनुसन्धान चालु राखे ते ज समयनी अने विद्याजगतनी अनिवार्य आवश्यकता छे. जैनविद्यानां फ्रेन्च विदुषी प्रो. नलिनी बलबीर आ सामयिकने सेतु गणावे छे ते बहुविध रीते यथार्थ ज छे. आ सामयिकथी एक मोटो फायदो ए थई रहयो छे के जैन साधु-साध्वी महाराजसाहेबोने अध्ययनशील बनी रहेवामां प्रेरणारूप बनी रह्यं छे, जेनी प्रतीति घणां बधां महाराजसाहेबोनां अहीं प्रगट थयेलां अधीतो थकी थई रहे छे. २०मी सदीना जैन मुनिभगवन्तोनी गुरु-शिष्य-प्रशिष्यनी गौरवशील परम्परा अने तेमनां विद्याकीय प्रदानथी आपणे सौ परिचित छीए तेनुं विहंगम दर्शन करतां गर्व अनुभवीए छीए अने आ साथे कंईक अंशे निराशा पण अनुभवीए छीए के मुनिभगवन्तोनी पेढीनो हवे अस्त थई गयो ? तेवा समये आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरि महाराज अने अन्य आचार्यो, मुनिभगवन्तोनी निश्रामां आ परम्परा सतत धबकती रहे अने तेमां 'अनुसन्धान' ऋत्विजनी असरकारक भूमिका पूरी पाडे तेवी श्रद्धा सेवीए. आ साथे ज नोंधळू रह्यु के उपाध्याय मुनि भुवनचन्द्रजी महाराजे प्रत्येक अङ्क उपर अङ्क नम्बरनी साथे ज प्रकाशन मास अने वर्षनी नोंध तथा जे ते अङ्कना लेखकोनां सरनामां नोंधवा माटे सूचन कर्यु छे ते योग्य ज छे. आ उपरांत प्रत्येक लेख शरु थाय ते पृष्ठ उपर नीचेना भागमा लेखक, लेखनुं शीर्षक, सामयिकनुं नाम, अंक नंबर, वर्ष अने लेखना प्रारम्भनो अने अन्तनो पृष्ठाङ्क पण दर्शाववो जोईए. प्रपत्तिभावपूर्वकनी आ श्रुतभक्ति माट विद्याजगत आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरि महाराज, कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि अने 'अनुसन्धान'ना नियमित वाचक अने सुज्ञ समीक्षक मुनिभगवन्त भुवनचन्द्रजी महाराज, सदाय ऋणी बनी रहेशे.