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________________ १५२ अनुसन्धान-७५(१) सब सवालों पर गहराई से चिन्तन किया है, और उपलब्ध प्रमाणों के व अपने तर्कों के बल से उन सवालों का हल भी दिया है या तो देने का उद्यम किया है, अतः हम यहाँ कोई नयी बात या दलील कहेंगे ऐसा तो प्रायः नहि है । तथापि थोडा ऊहापोह अवश्य करना चाहेंगे । वे सवाल ऐसे हैं - कल्पलघुभाष्यकार कौन ? १. कल्प-लघुभाष्य के प्रणेता कौन हैं - संघदासगणि क्षमाश्रमण या सिद्धसेनगणि?। २. संघदास वाचक और संघदास क्षमाश्रमण - दो भिन्न भिन्न हैं या दोनों एक ही है? । ३. भाष्यकार संघदासगणि, श्रीजिनभद्रगणि क्षमाश्रमण के पूर्ववर्ती या परवर्ती ४. कल्प एवं व्यवहार - इन दोनों के भाष्यों के प्रणेता एक है या पृथक् पृथक् ? । यहाँ और भी प्रश्न हो सकते हैं, और प्राय: ये सभी प्रश्न एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, इसलिए एक के बाद एक की, क्रमशः, चर्चा करना जरा मुश्किल है। हम इन सवालों पर एकसाथ ही सोचेंगे। आगमप्रभाकर श्रुतशीलवारिधि मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी के अनुसार 'संघदास' नाम के आचार्य दो हुए हैं। एक वसुदेवहिण्डी प्रथम-खण्ड के कर्ता 'वाचक संघदास, और दो कल्पभाष्य के कर्ता संघदास 'क्षमाश्रमण' । चूंकि दोनों के साथ जुडी पदवी भिन्न भिन्न है', अतः दोनों अलग व्यक्ति हैं । वाचक संघदासगणि, जिनभद्रगणि से पूर्ववर्ती हैं, निश्चित रूप से । मगर क्षमाश्रमण संघदासगणि कब हुए यह एक उलझन ही रही है । पुण्यविजयजी ने पहले ऐसा कहा कि भाष्यकार संघदासगणि महाभाष्यकार से पूर्ववर्ती हैं यह बात सन्दिग्ध है, और बाद में उन्होंने ही कह दिया कि वे पांचवीं शती में हुए हैं, महाभाष्यकार से पूर्ववर्ती, मगर वाचक संघदास से परवर्ती हैं । ___उनके अनुसार, कल्प, व्यवहार एवं निशीथ - तीनों छेदग्रन्थों के भाष्यों के कर्ता संघदासगणि ही होने चाहिए । कल्प एवं निशीथ - दोनों के भाष्यों में
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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