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________________ सप्टेम्बर - २०१८ १०७ पर अर्धगोळाकार वृत्त छ, बन्ने तरफ शालभञ्जिकाओ, विशाळ स्तम्भ, प्रदक्षिणापथ अने अनी चारे तरफ सादी रेलींग नजरे पडे छे. अहिं पण अलङ्कृत तोरण प्रवेशद्वारने अनेरी शोभा आपे छे. परन्तु सोपान पांच छे तथा अनी आसपास गवाक्षनो अभाव छे. __ अक घणा ज विशाळ तोरणद्वार पर स्तूपनी पूजा माटे आवता अर्धमानवी अने अर्धघोडावाळा ग्रीक देवी-देवता कंडारेला छे. स्तूपनो आकार समवसरणने मळतो छे. आ तोरणमां पाछळ तरफ हाथी अने घोडागाडीमां बिराजेला भक्तो प्राचीन समयमां वाहनोमां केवी रीते लोको यात्राओ जतां तेनुं दृश्य छे. आ शिल्प विश्वमा प्रसरेल जैन धर्मना महत्त्वने आबेहूब रजू करे छे. मङ्गळ प्रतिको : लगभग १४ जेटला मङ्गळ प्रतीको विविध शिल्पोमां जोवा मळे छे अमां मोटाभागना आयागपटोमां प्रतीको हारबंध कंडारेला जोवाय छे. आ स्थळेथी त्रिरत्न, श्रीवत्स, भद्रासन, कुम्भ अने स्वस्तिक वगेरेनां अलग शिल्पो पण मळ्यां छे. शालभञ्जिकाओ : स्तूपना उत्खननमां मळी आवेल शालभञ्जिकाओ बे प्रकारनी छ : ओकमां स्वतन्त्र रीते अङ्कित थयेल छे, तो अन्यमा स्तम्भ उपर कंडारेली छे. आ शिल्पप्रकार मथुराकळानो होवाथी ओ चारे तरफ कोतरणीवाळी तैयार कराय छे. स्तम्भ उपरनी पूतळीओ रायपसेणीयसूत्रना आधारे छे ओम वी. सी. अग्रवाले वर्णव्यं छे. आ पृतळीओ जेवां शिल्पो हवे देरासरना घुम्मट, स्तम्भ अने रङ्गमण्डपमां कंडारेला जोवां मळे छे. तेओ स्त्रीओने रोजिंदा स्वरूपमा रजू करे छे, दा.त. मन्दिरमा पूजानी थाळी लईने जती स्त्री, दडो रमती स्त्री, हार्प नामनुं वाजिंत्र वगाडती स्त्री, अरीसामां पोताने जोती स्त्री वगेरे. थोडां विशिष्ट शिल्पो : ओक शिल्पने ओळखवामां इतिहासकारोने मुश्केली आवी. कारण के तेओ जैन देरासरोनी अेक सामान्य परम्पराथी अजाण हता. तीर्थङ्करोना जीवनना अगत्यना प्रसंगोने मंदिरोनी दिवालो पर दर्शन माटे कंडारवानी प्रथा आजे पण छे. एमां मोटाभाई नन्दीवर्धन पासे महावीरस्वामी दीक्षानी अनुमति मांगे छे अने
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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