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________________ सप्टेम्बर - २०१८ मथुराना देव निर्मित स्तूपनी प्रतिमाओ अने शिल्पोनी विशेषता १०१ BEDRE • डॉ. रेणुका पोरवाल विषयप्रवेश : मथुरानगर स्थित जैन स्तूपनी साइट- स्थळ कंकाळी टीलामांथी उत्खननमां प्राप्त थयेला ब्राह्मी लिपिना १२५ अने देवनागरी लिपिना २० जेटला शिलालेखोवाळी प्रतिमाओ अने अन्य शिल्पो जैनधर्मनी आगवी ओळख अने धरोहर छे. पत्थर पर अङ्कित आ विद्याधन "न चोरहार्यं, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि, व्यये कृते वर्धते " जेवुं अणमोल धन, सर्व धनोमां प्रधान होवाथी अनी किंमत केवळ विद्याव्यासंगी जौहरी ज कल्पी शके छे. जैनधर्मना पवित्र यात्राधामोनो विकास प्रथम स्तूपमां, त्यारबाद गुफाओ अने पछी वर्तमानना देरासरोना रूपमा थयो. मथुरानो स्तूप पंदरमी सदी सुधी सारी स्थितिमां हतो. जैन शास्त्रो पहेलां मौखिकरूपे ज हतां परन्तु कोईक अगम्य कारणसर अ शास्त्रज्ञान विसरातुं जाय तो आगमवाचना अनो प्रथम उपाय हतो, परन्तु महामारी के बीजी कोई कुदरती आफत के समस्या उद्भवे तो ओने कंइक अंशे स्मरणमां राखवानो उपाय पण आपणा महान गुरुजनोओ विचार्यो हतो. तेमणे जैनधर्मना आचारो, सिद्धान्तो, प्रभुपूजनविधि, गुरुपरम्परा, गोचरी वहोरवाना नियमो, चतुर्विधसंघनो पहेरवेश, जिनकल्पी अने स्थविरकल्पी बंने साधुओना पात्र अने प्रतिलेखना साथेना परिधान, सम्यक् दर्शन, ज्ञान, अने चारित्रनी रत्नत्रयी, वगेरेने शिल्पोमां मढी लीधी जेथी भविष्यमां कोई बाबते चर्चाओ ऊभी थाय तो अनुं समाधान शक्य बने. आम आ शिल्पो स्वत: authentic reliable sources of knowledge कही शकाय. आ शिल्पो विविध सम्प्रदायोनी भ्रामक मान्यताओनो छेद उडाडे छे. दा.त. खड्गासनवाळी जिनप्रतिमा सलिंगी छे तो साथे नेत्रो खुल्लां छे. बे हजार वर्ष पहेलाना मन्दिरोना अवशेषोमां मूर्तिओ, उत्तम कारिगरीयुक्त स्तम्भ, तोरण, बारशाख, छत्र, पुतळी, वगेरेनो विपुल जथ्थो जैनोमां प्रतिमापूजननी महत्ता अने मन्दिरोना अस्तित्वने सिद्ध करे छे. आ स्थळना उत्खननमां अक
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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