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सप्टेम्बर - २०१८ योजना पण घणी साहजिक छे. आ रचनानुं जो परम्परागत रीते लयात्मक गेयपठन करवामां आवे तो ज अनी खरी खूबी जाणी शकाय. समग्र रीते जोई तो 'नेमिरङ्गरत्नाकरछन्द'ना सौन्दर्यनिर्माणमां आवी चारणी शैली मोटो भाग भजवे छे.
'नेमिरङ्गरत्नाकरछन्द' अने 'विमलप्रबन्ध' बने पद्यकृतिओमां लावण्यसमयनी कविप्रतिभानो पूरो परिचय मळे छे; तेम छतां लावण्यसमयनी बीजी कृतिओमांथी हवे 'सूर्यदीपवाद' अने 'करसंवाद' जेवी कृतिओ विशे केटलुक जाणीओ :
___ 'सूर्यदीपवाद'मां कवि सूरज अने दीवा वच्चेना वादविवादनुं त्रीस कडीमां सुन्दर वर्णन कर्यु छे. आखी कृति छप्पयछन्दमां छे. दरेक छप्पानो नादलय असरकारक छे. दीपकना लाक्षणिक अर्थ दर्शावतो आ छप्पो सांभळो :
रमणी-दीपक चंद्र, दिवस-दीपक जो दिणयर कामणी-दीपक कंत, देश-दीपक राजेश्वर त्रिभुवन-दीपक दान, ज्ञान-दीपक गुरु भणइ
वंश-दीपक सुपुत्त, विनय-दीपक (मन) सुणीइ दीपक दिनकर देखि करी, अणप्रीछइ कां तडफडूं?
लावण्यसमय कहइ सूरथी जो, दीपकगुण दीपे वडुं. कवि लावण्यसमयनी संवादशैलीमां रचायेली बीजी कृति छे 'करसंवाद'. आ लघुकाव्यनो कथासन्दर्भ अवो छे के, जैनधर्मना प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव, वरसीतपना पारणां निमित्ते, श्रेयांसकुमारने त्यां पधारे छे. श्रीभगवानने भिक्षा वहोराववा बाबते श्रेयांसकुमारना डाबा-जमणा हाथ वच्चे विवाद थाय छे. बन्ने हाथ पोतपोतानी विशेष महत्ता बतावे छे. छेवटे भगवान ऋषभदेव बेय हाथ वच्चे संप करावे छे. आवी रमणीय कल्पना आ काव्यमां छे. आ कविकल्पित संवादकाव्य दुहा-चोपाईमां रचायेलुं छे. दयारामर्नु काव्य 'लोचनमननो झघडो' जेम आ काव्य पण रसप्रद संवादकाव्य छे. मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां 'रावण-मन्दोदरी संवाद', 'हनुमान-गरुडसंवाद' जेवा पौराणिक संवादकाव्यनी समान्तरे आवा कल्पित संवादकाव्यनी रचना पण कविप्रिय रही छे..