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अनुसन्धान-७४
आगइ जे उत्तम हूआ जी, तेणे न लीधो अंत, विषय कषाय परिग्रह जी, छांडइ ते माहंत जो तुं ए छंडीसि नहीं जी, सही तुझ छंडइ एह, एहवूं जांणी चेतस्यइ जी, सुखीआ थास्यइ तेह आदरस्यूं संयम सही जी, लही सहगुरुनो संच, पंच सुमति त्रिणि गुपतिस्यूं जी, लेस्यूं महाव्रत पंच भ्राता पुत्र नइ भार्या जी, सहूई थयूं एक मन्न, महा महोच्छवस्यूं ते लिई जी, संयम सुद्ध रतन्न संवत सोल बावनई जी, सुदि बीजई माहा मासि, धन्ना सालिभद्रनी परिं जी, श्रीविजयसेनसूरि पासि १२० सुणु सहू...
११८ सुणु सहू...
११९ सुणु सहू...
११६ सुणु सहू...
११७ सुणु सहू...
॥ दूहा ॥ राग - मालवीगुडु ॥
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जेसा जेठा पुत्रनई, सूंपी सह घरभार, नाथू नायकदे सहू, व्रत लेई करइ विहार केसव जे सुत लाडिलो, कीर्त्तिविजय तस नाम, कनकविजय कर्मचंद ते, कुंअरविजय गुणधाम १२२ नायकदे नयश्री सती, रहइं गुरूणीनई साथि, श्रीविजयसेनसूरीश्वरइं, वास ठव्यु निज हाथि १२३
॥ ढाल - नवमी ॥ ९ राग - मालवीगुडु ॥ कुसुम जाति आंगी मनि खंति - ए देशी ॥
सूधूं समकित जे आराधइ, साधइ आतम काज रे,
भई गुण क्रिया सुद्ध पालई, सेवइ चरण गुरुराज रे १२४ ध्यन ध्यन ए सुद्ध संयमधारी, आचारी गुणवंत रे, संयमस्यूं लय पूरी जेहनी, साचा ए माहंत रे
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ध्यन ध्यन ए सुद्ध० ॥ आंकणी ॥ नेमिविजय गणि साह नाथू ते, हूआ वेआवचकारी रे, बंधव भव बेहू समारइं, जे हूआ निज हितकारी रे
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ध्यन ध्यन ए सुद्ध...