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________________ २०१८ (४) सखर सुगंध चडावीइ, अतिनिरमल सार कपूर रे I सामी अंगि ऊजलुं, निरखंतां आनंदपूर रे ||४|| केव० ॥ गंधतणी पूजा करी, अमरपण ते भोगवई । २१ [...] गुरुआ गंध सुजाण ॥ स्वामी गुरुआ गंध सुजाण, पछइ पामइ ते निरमल नाण रे ॥४॥ चउथी पूजा ॥ (4) नंदनवनि विधिसिउं जाई, अम्हे फूल अमूलिक ल्यावुं रे । कमल गलाल नइ केतकी, जिन चलणे चांपा चडावूं रे ॥५॥ केव० ॥ कुसुम चडावुं मोकलां, अनइ परिमलबहुल सुवन्न । महीअलमंडण तेह नर, जगि जयवंता धन्न ॥ स्वामी जगि जयवंता धन्न, जेह लागउं जिनसिउं मन रे ||५|| पंचमी पूजा ॥ (६) टोडर नवसर गुंथइ, आणी कुसुमतणी बहु जाति रे । कुलीय मिलीय रुलीआमणी, तीणइ पूगी मननी खंति रे || ६ || केव० ॥ टोडर सार सोहामणुं, अनइ कीजइ ते वृत्ताकार । मधुकर झंकारव करई, जिन पूजउ जगआधार ॥ स्वामी पूजउ जगदाधार, एह अवसर लाधु सार रे ||६|| छठ्ठी पूजा ॥ (७) नीलकमल नई रातडां, संध्याराग - समान रे । सोवन जाइ सोहामणी, माहि मरूआ केरा पान रे ||७|| केव० ॥ दमणउ मरूउ नीलडा, अनइ जमलूं तेज सुरंग । वर्णक - रचना रूअडी, अति ओपइ ते स्वामी अंगि ॥ अति ओपइ ते स्वामी अंग, जिनपूजा लागुं रे ||७|| सातमी पूजा ॥ (८) सूकडि केसर अभिनवां, घनसार सरीस सुवास रे । अरिहंतदेव चडावीइ, तु पूरइ मननी आस रे ॥८॥ केव० ॥
SR No.520575
Book TitleAnusandhan 2018 04 SrNo 74
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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