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________________ बे पूजाओ - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि जिनेश्वर प्रभुनी पूजाना ३, ५, ८, १७, २१, १०८ एम अनेक प्रकारो छे. धर्मी गृहस्थो पोतानी शक्ति-भक्तिने अनुरूप पूजा करतां होय छे. ते पूजा - प्रकारोने अनुरूप काव्योनी रचना केटलाक कवि-साधुओ करे छे, जे 'पूजा'ना नामे आपणे त्यां जाणीती छे. दा.त. पंचकल्याणकपूजा, सत्तरभेदीपूजा वगेरे. आवी अनेक पूजाओ आपणे त्यां प्रचलित-प्रसिद्ध छे, अने ते जिनालयोमां गान-वादन साथे भणावाय पण छे. पूर्वकाळमां जिनालयमा 'अर्हदभिषेक' जेवां अनुष्ठान के विधान थतां, जेने माटेनी विधि-पद्धतिओ तथा पाठो संस्कृत - प्राकृत भाषामा रहेतां. आजे जेम स्त्रात्रपूजा के पूजा भणावाय छे तेम पूर्वे ते अनुष्ठानो थतां अने ते पाठ बोलातां. काळांतरे ते संस्कृत - प्राकृत विधानो प्रासंगिक बन्यां हशे, अथवा लोकोनी अपेक्षा लोकभाषामां आवां विधाननी उद्भवी हशे, तो मध्यकालमां लोकभाषामां रचनाओ आरंभाई, जेनो एक प्रकार 'पूजा' तरीके प्रख्यात थयो. उपलब्ध जूनी पूजा वाचक सकलचन्द्रकृत सत्तरभेदी पूजा होवानुं मनाय छे. सत्तरमा शतकमां थयेली ए रचना, भारतीय खयाल गायकीना विविध ३५ रागोमां गुंथायेली, ३५ गीतोनी रागमाला छे. ए पूजा आजे पण जैन मन्दिरोमां गवाय छे, विधिवत् अनुष्ठानरूपे भणावाय छे. ते पछी तो अनेक कविओए रचेली अनेक पूजाओ प्राप्त छे. तेमां घणीबधी मुद्रित पण छे, चलणी पण. परन्तु केटलीक रचनाओ हजु पण प्रकाशमां नथी आवी. तेवी बे रचनाओ अहीं प्रस्तुत छे. १. सत्तरभेदी पूजा. तेनी रचना वि.सं. १६०४ के ते अगाऊ थई छे. तेना कर्ता अज्ञात छे. सं. १६०४मां लखायेली ३ पत्रोनी एक प्रतिमां प्रथम २ पत्रोमा आ पूजा छे, अने पछीना अंशमां 'व्यवहार चउपई - सज्झाय' छे. सज्झाय १७ कडीनी छे, अने तेना छेडे पण कर्तानुं नाम नथी जोवा मळतुं प्रान्त-पुष्पिका परथी एटलं जावा मळे छे के सं. १६०४मां तपा. सोमतिलकसूरिना राज्यमां 'खदिरालयनगर' मां (खेराळुमां) आ प्रत लखाई छे; अने सम्भवतः आ बे पद्य कृतिओ पण त्यारे ज़ रचाई छे. 'फकू' नामे श्राविकाने पठनार्थे आ रचनाओ लखाई छे. आ सिवाय कर्ता विषे कोई उल्लेख नथी. १७ प्रकारनी जिनपूजा माटे १७ गीतो रचायां छे. गीतोनो राग के ढाळ एक ज रखायो छे. प्रथम एक कडी (दरेकमां) छे ते 'राग सामेरी' मां गावानी छे. पछीनी
SR No.520575
Book TitleAnusandhan 2018 04 SrNo 74
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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