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सप्टेम्बर - २०१७
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(१०) . ___श्रीघृतकल्लोल पार्श्वनाथ स्तवन
धनि धनि धन्ना सालिभद्र मुनिवरू जी - ओ देशी वामा सुत रे साहिब सांभलो जी, वीनतडतृ(डी) मुझ वारो वारि, हुं अलगाथी उभो ओलगुं जी, तोई पणि तूं कहीइं नवि तारि... वामा... (१) साजन साचो मई तुं जांणीओ रे, तेणि तुझ आगलि जिनराज, मनवच काया तिण्ये माहरों जी, दीधां सेव करणनि काजि... वाम... (२) दरिसण देखी हियडु हिंसीउं जी, राख्युं न रहइ सास उसास, जो तुं चाहइ रे चितडइ चाकरी जी, तो नवि कीजई घडीय विमास... वाम...(३) सज्जन जन जे जांणी आवीया जी, नवलि प्रीति करेवा जांम, तव ते हुवी हियडई चांपनई जी, सांही लीई सामो सांमि... वाम... (४) तिमउं ठाकुर छई त्रिहुं लोकनो जी, सघला संतमांहि सुलतांन, तुझ दरबारिं आवी जे चढई जी, ते नहिं किमई बहु मांन... वाम... (५)
सुणि बहिनी पीउडो परदेशी - ओ देशी सुणि वाले सरस रस प्रीतडली, होवई मन मान्यास्युं रे, जेहस्यं हृदय न राचई रंगिं, ते दीठई कुमला स्युं रे... सु... (६) नयणे ओक जोया नवि खटकिं, कोईक नामथी सालई रे, सुहणई हेजस्युं तेह ज साथि, रस भरि रंगि मालई रे...सु... (७! उत्तम रीति जे राखई रुखडी, ओकणस्युं बोल बोलई रे, तन मन देई सुख दुःख साचुं, तेह आगलि सवि खोलई रे...सु... (८) आपणपुं दिल तोहि ज दीजई, जो कसि पहुचई आछई रे, अधम माणसनि लहई जो कहीजई, निरवहतां तनुता छइ रे...सु... (९) सकल गुणाकर महियलि मांहिं, तुझ सम अवर न पाउं रे चरणकमल स्वामी सेव्या विहुणो, किम ओसींगल थाउं रे... सु... (१०)
लाछलदे मात मल्हार - ओ देशी धनि धनि मुझ अवतार, दीढू देव दीदार, आज हो छूटां रे भवदुःख बंधन आकरां जी... (११)