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________________ ३० अनुसन्धान-७३ "चसिमा अर्थ महित स्वाध्याय" - सं. गणि सुयशचन्द्रविजय __मुनि सुजसचन्द्रविजय हमणां थोडा समय पूर्वे कवि सर्वविजयजी कृत 'पुण्डरीकशब्दगर्भित जिनस्तोत्र' नामनी संस्कृत भाषानी लघुकृतिनुं सम्पादन करवानुं बनेलं. 'पुण्डरीक' शब्दनो जुदा जुदा प्रयोगो द्वारा १०० वार उपयोग करी कविए पोतानी तीव्र मेधानो एमां परिचय करावेलो. कदाच ते कृतिनी टिप्पणवाळी प्रत न मळी होत तो तेना वगर मूळ कृतिनुं सम्पादन करवू अशक्य थात. ते कृतिनुं सम्पादन करती वखते एक विचार आव्यो हतो के आवी कृतिओ शुं फक्त संस्कृत भाषामां ज मळती हशे ? के गुजराती वगेरे भाषामां पण आवी कृति रचाई हशे खरी ? थोडा समय बाद उपरोक्त प्रश्नना उत्तररूपे अमने 'चसिमा अर्थ महित स्वाध्याय' नामनी प्रस्तुत कृति जोवा मळी. 'पुण्डरीक' शब्दनी माफक अहिं कविए 'चसिमा' शब्दना प्रयोग द्वारा पोतानी विद्वत्ता प्रगट करी छे. कृति मध्यकालीन गुर्जर भाषानी होवाथी तेमां देश्य शब्दोनी छांट पण जोवा मळे छे. कृतिना कर्ता पोते ज प्रतिना लेखक होवा छतां तेमणे करेली अनुस्वारादिकनी बहुलता, के पाठलेखननी अशुद्धिने कारणे कृतिनुं सम्पूर्णपणे संमार्जन करवू अशक्य हतुं. तेथी बनता प्रयत्ने पद्योना अर्थो बेसाडी कृति समजवा प्रयत्न कर्यो छे. कृतिसम्पादनमा सहाय करवा बदल प.पू. उपाध्याय श्रीभुवनचन्द्रजी म.सा.नो खूब खूब आभार. साथे कृतिनी हस्तप्रतनी झेरोक्ष सम्पादनार्थे आपवा बदल श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिरना व्यवस्थापक श्रीयतिनभाईनो पण आभार. कृतिपरिचय : आम जुओ तो सम्पूर्ण कृति उपदेशात्मक छे. पण कविनी विद्वत्ताए कृतिने फक्त उपदेशात्मक न राखता विद्वत्तासभर बनावी दीधी छे. प्रथम ढाळमां कविए 'चसिमा' शब्दनी आगळ मा, सं, टां, सां जेवा विभिन्न अक्षरसंयोजनो प्रयोगी जीवे शुं शुं न करवू जोईए तेनो उपदेश आप्यो छे. दा.त. [हे जीव!] तूं आठ मदमां राचीश नहीं, [हे जीव!] धन पामी तेनो संचय न करीश वगेरे वगेरे. ज्यारे बीजी ढाळमां कविए नीच व्यक्ति कोणे कहेवाय ? तेनी वात रजू करी छे. दा.त. - जे राजसन्मान पामी मान करे ते नीच, जे चारित्र अने ज्ञान पामी माया करे ते नीच वगेरे वगेरे. जो के पहेली तेमज बीजी ढाळमांनां जे केटलांक पद्यो अमने अस्पष्ट रह्या छे
SR No.520574
Book TitleAnusandhan 2017 11 SrNo 73
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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