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________________ ८४ अनुसन्धान-७२ गुणियण सेवउ सुहगुरु पाय, तसु नामई दुरित पलाइ जसु जपतां शिवसुख थाइ... १ तसु सह नामइं जे अछइ रे, तासु तणउ मल्हार, तसु नामइं मन ऊल्हसइ रे, पामउ हरख अपार... गुणि० २ वनरिपु तसु रिपु तेहनी रे, धूय तणा तनु वान, महियलि महिमा महमहइ रे, द्यइ इंद्रादिक मान... गुणि० ३ समुद्र सुता सुत तनु तुलई रे, निर्मल दीपइ जासु, अखंड कीरति छइ तेहनी, कीधउ अतिहि प्रकास...गुणि० ४ जासु नाम प्रगटउ जगिइं रे, हेलिई जीतउ मार, संजम सिरि सहजई वरी रे, तरिया भव संसार... गुणि० ५ सहगुरु दीठइ उपजइ रे, हरि सिरि जिणि सोभंति, ए गूढारथ तिणि कीयउ रे, पंडित जण बूझंति... गुणि० ६ ऋषि हापराज इम वीनवइ रे, ए गूढारथ गीत, साधु तेय सूधउ सदा रे, अवर बइसइ चीति... गुणि० ७ १० परमार्थ तत्त्व हीयाली सेवक आगइ साहिब नाचइ वहइ गंग जल खारी; गर्दभ साटइ गइवर वेचिउ इ अचरिज मोहि ता(भा)री, चतुर नर, बूझइ एह हियाली, जिम ऊतर दे संभाली [आंचली] १ हिवइ भव्यजीव तणई कारिणि हितोपदेश-शिष्या(क्षा) वचन दीजइ छइ. कर्मरूप सेवकनइं आगलि जीवरूपीओ राजा नाचइ छइ. जिनवाणी श्री सिद्धांत रूप गंगाजलनइं आपणी मतिइं जूठां अर्थ कहतउ खारु करइ. प्रमाद रूपीओ गर्दभ, तेहनइं साटइ संयम रूपीओ मत्त गइंवर वेचिओ. जीव प्रमादनइ वस्य पडिओ चारित्र पाली न सकइ. मांकड कइ वसि जोगी नाचिउ, मारिउ सीह सीयालइ; इक चीटीयइ परबत ढाहिउ, अचरिज इणि कलिकालइं... चतुर०२ चतुर नर, हीयाली नउ अर्थ ए जांणिवउ... मन रूप मांकड कइ वसि जोगी असंयमी नाचिउ. शीलरूपीउ सिंघ काम सीयालई मारिउ. तृष्णा रुपिणी
SR No.520573
Book TitleAnusandhan 2017 07 SrNo 72
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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