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अनुसन्धान-७२
स-जडु न शंकरु, सीअ-हरु लंकाहिवइ न होइ, एह हीयाली पंडिआ, विरलउ जाणइ कोई. [कंबल] छ लोयण दह चलण, सत्त कन्न मुह च्यारि; भोज हीयाली पाठवी, वीसलदेव विचारि. [?] पंचायण कर पंगुरणु, महिलामंडण होइ, हुं तो पूछउं गंधिया, उषध अछइ सोइ. [नख] गले जनोइ पूंठे थण, मस्तक उपर कंत, ते बोलंती में सुणी, जोवा गइ ती कंथ... [वीणा] जीवतो वनमा वसे, मूओ आवे गाम, पगे भांगी खोडो थयो, ते कशे न आवे काम... [खाटलो] दो नारी दो वीजणा, परखां कूपा च्यार, ते हूं आवी मागवा, पाडोसण न करे नाकार... [खाटलो] भोम डशण रीपु बोलियो, छांड चल्यो पिउ मोय, गणपतिवाहन तास भक्ष्य, आणी मेल्या सोय... [कूकडो] ? अगनिकुंडथी ऊपनी, प्रीतम साथे लेइने वहे, वगर पाणीए डूबकी मारी, चनुर होय ते कहे... [सोय] एक जडी ने श्वेतवरणी, रहे राया शेर राय, चतुर होय तो कहे - ओ जाय ओ जाय... [जाइ] पहिलो जायो बेटडो, पछे जायी माय, बार बरसडो बेटडो, आठ वरसनी माय...
[मा ८ वरसनी बेटो आठ वरसनो ते-ओरमान मा] पेटण शीतहरण, नही रावण नही राम, चतुर हो तो भावजो, नहीतर रामो राम... [चीर] चलण चोदह नयण दश, शशी पंच जीव च्यार, करण हरियाली पाठवी, राजा भोज विचार... [यवन मडुं] ? एक नारि अति सांमली, पापण माहि वसंत, तो तुम अलजो अति घणो, जोवा अतिहि करंत [आंख] जिहां पवन न संचरे, पंखी न बेसें कोय, ते फल वहिला लावयो, साचा साजन होय... [मोती]