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जून - २०१७
त्रिभुवन जनमन वल्लहउ, नाम तास मंडण लहयउ, संभलहु नारि पीय उचरइ ए कवन पुरुष उत्तम कहयउ ?...२५ [श्रीपार्श्व] अठ चरण बे पुंछ नयण वस्त्र तास सुणिज्जइ, च्यारि जीव नौ हत्थ श्रृंग दोइ तास कहिज्जइ, चतुरानण तेह तण्णइ नाम ब्रह्मा नवि जाको, भीम पुत्र वइसणु सरिस सोसी आलूण ताको, शारंग पुत्र वाहण कहयउ बहुत लोय सेवइ चरण, संभलहु नारि प्रीय उचरइ इसउ रूपधारी कवण ?... २६ [महादेव] तिखुं नई तमतमुं, केलि सरीखं पान, ए हरिआलीनो अर्थ कहइ, तेहनइं आपुं वीरमगाम... [पत्तरवेलानां पान] तिखा नई तमतमां, सूडा-वरणां जेह, मुझ प्रीउ पाटण सीधावीया, मुझ मोकलयो तेह... [पान] उंटनी बइंसणि हरणनी फाल, ए अर्थ न कहइं तेनइ ल्यइं खेत्रपाल... [मेडक] रातो घडो कालो बुझारो, ए अर्थ न कहई, तेहन ल्यइं खेत्रपाल... [चिणोठी] कालो बलद कलोलीउं माथई सोविन फूल, सोए सहसे मागीउ, धणी न करई मूल... [आंख] एक नारी छई चिंहु खुणी, चिहुं खूणे छई चोखंडी, गहिलां लोक रीझई छइ, विनु कारज सीझइ बई... [लग्ननी चोरी] हीआनुं ऊपायुं हीर, वणकर विहोणुं वणिउं चीर, बीबा विहूणी पाडी भाति, को हरियाली केइ जाति ?... [सापनी कांचली] एक नारी छइं झाकझमाली, तेहनइं पासिं आवि वनमाली, चोसठि चांपां लाबई भेटिइं, राजा सरीखां तेह नई पेटीइं, विवसायां कुल उपनी उभी राजदुआरि, करण हरीआली पाठवइ राजा भोज विचारी... [पालखी] अंब जंब अंबिलीए लगइ, करणे केले द्राख न लगइ; लग लग कहतां किमे न लगइ, मा मा कहतां घणेरु लगइ. [होठ]