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जून - २०१७
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फिरइ चडी पणि कहीइ पाली, उत्तम संग करइ सा बाली, आप कूआरी जग परिणावइ, पंडित एह हीआली भावइ... ४ [कंकोतरी] एक नारी भरतारि मूंकी, देहवन्न सघला सा चूकी, सा जि नारि भरतार न देखइ, जइ जनम भरि देखइ... ५ [सर्पकांचली] एक नारि मुख काजलवन्नी, हीइ परगट नइ बोलीइ छानी, परकारणि आपु छेदावइ, मूरख सरसी गोठ न भावइ... ६ [लेखण] जलि उपन्नी थलइ बसइ, जलि लग्गइ सीदाइ, सा शुं करउ बापडी, जिम अजरामर थाइ... ७ [इंट] थलि उपन्नी जल वसइ, जलचर जीव न खाइ, जीवह कारण बापडी, क्षणि आवइ क्षणि जाइ... ८ [बेडी, नाव] लाखे पुरुषे त्रिणि ज नारी, त्रिहुं मिली इक बेटी जाइ, पुंछडि बांधिउ पुरुष नचावइ, सा नारी रूडी भावइ... ९ [वेणी-गोफ] वांकउ चूंकउं बहबहआलउं, सूनउं रूपउं नही परवालउं, गाम नगर सहूइ तिणि सोहइ, कामिणी हाथि लीउं जग मोहइ... १० [सूपडं] पातलडी नइ वंकमुही, नामइं भणीइ नारि, सुगुणी पुरुषह क्षय करइ, भोज हीआली विचारी... १२ [सींघणि] [कटार?] दही नही पुण दहीआवन्नउ, मछ नही पुण जलि उपन्नउ, चोर नही पुण साही जीलइ, पुत्र नही पुण बाको दीजइ... १३ [शंख] एक पुरुष पखाणि उपन्नउ, तेहD भोजन पाणी, राजभवन मइ रमतउ दीठउ, अंत:पुर सह राणी... १४ [चूनउ] एकोतर बेटा जाइआ, बहुतर अछइ पेट, सम करावउ हे सखी, जो पुरुष होइ भेट... १५ [किलि] (?) पगह विण परवति चढइ, मुह विण खड खाये, हुं तुम्ह पूछु हे सखी, ए कुण सावज जाये ?... १६ [अग्नि] रती रती रतठ्ठी, थाइ होइ विरत्त, स्त्री फाटी पुरुष हुउ, एह असंभम वत्त... १७ [चोखा] जलचर जीव तणीय जनेता, उत्तम मध्यम दीसइ खाता, ब्रह्मा पूणी शंकर झाल, रूप नही पणि दीसह विकराल... १८ [बगाई]