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आवरणचित्र विषे प्रस्तुत अङ्कमां श्रीबालचन्द्रसूरि-विरचित वस्तुपालप्रशस्ति-काव्य प्रगट थयुं छे. ते काव्यनी प्रतिनुं पानुं प्रथम आवरण पर आप्युं छे. गिरनारतीर्थ परना, वस्तुपाल-तेजपालना देरासरमा छ प्रशस्ति लेखो उत्कीणित होवानुं अने आ प्रशस्तिकाव्यनी प्रति ते लेखोनी ज प्रतिलिपिरूप होवार्नु सम्पादकोए नोंध्युं छे. आ प्रति प्रण १५मा सैका जेटली पुरातन होय एम अनुमान थाय छे.
चोथा आवरण पर आवेल छबी, गिरनारना वस्तुपालनिर्मित जिनालयमा वर्तमानमां पण जे ते वखतना प्रशस्तिलेखो मोजूद छे, तेमांना एक लेखनी छे. त्रण-चार लेख-शिलाओ त्यां उपरनी दीवालोमां लागेली छे तेमांनी आ ओक छे. जो के ते लेखने अत्रे सम्पादित-प्रकाशित प्रशस्ति साथे कोई सम्बन्ध होय एम जणातुं नथी. बन्नेनी वाचना अलग अलग जणाई छे. ते लेख क्यांय प्रकाशित थयो होय तो बनवाजोग छे. त्यां अन्य पण, घसायेला तथा खण्डित थयेला लेखो छे, अने ते बधा वस्तुपालना समयना ज छे, ते बहु महत्त्वपूर्ण बाबत छे.