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________________ २८६ अनुसन्धान-७१ सदी बादनी न होई शके : तेरमी सदी बाद गुजरातनी मस्जिदोमां एवां तत्त्वो दाखल थाय छे जेनो कोई निर्देश आ कृतिमां नथी. आ लेखमां कृतिनो मूळ संस्कृत पाठ अने एनो गुजराती अनुवाद आपवामां आव्यो छे. आ पाठ एटला माटे महत्त्वनो छे के मस्जिदना वास्तु अंगे आ सिवाय बीजी कोई कृतिमां माहिती मळती नथी. ___मध्ययुगीन साहित्यमा स्वर्गवासी व्यक्तिओनी स्मृतिमा मन्दिरोनुं अने एवां अन्य स्थापत्यो, निर्माण कराववामां आवतुं होवाना अनेक निर्देशो मळे छे. आ भवनो सामान्य रीते स्वर्गारोहणप्रासाद तरीके ओळखातां. आ जाणकारी आपणी पासे होवा छतां आवां देवालयो अन्य स्थापत्योथी केवी रीते जुदां पडे छे, अथवा एमनां व्यावर्तक लक्षणो कयां छे ते जाणीतुं नहोतुं. प्रभाशंकर सोमपुरा साथे लखेला स्वर्गारोहणप्रासाद लेखमां ढांकीसाहेब हाल अनुपलब्ध पण वास्तुग्रन्थसमुच्चय श्रीज्ञानरलकोश मां सद्नसीबे सचवायेला सिद्धार्थपृच्छा मां जोवा मळता ‘स्वर्गारोहणप्रासादलक्षणम्'नो पाठ आपे छे अने एना अभ्यासने आधारे सूचवे छे के कृष्णदेवे खजुराहोनां मातङ्गेश्वर अने ब्रह्मा मन्दिर विशे तेमज भोजपुर (म. प्र.) खाते आवेला अपूर्ण शिवमन्दिर विशे ए मूळे 'स्मृतिमन्दिरो' हशे तेवी रजू करेली अभिधारणा वस्तुतः साची हती. दक्षिण भारतमां पण 'पळ्ळिपडई' नामे जाणीतां आवां समर्पित भवनो जोवा मळे छे. अंगकोरवाटनुं जगप्रसिद्ध देवालय आ ज परम्परानुं अग्नि-एशियाई स्वरूप छे, तो राजस्थाननी छत्रीओ एनुं मध्ययुगीन भारतीय (अलबत्त, इस्लामी घुम्मटथी प्रभावित). वासुदेवशरण अग्रवाल अने मोतीचन्द्र सरखा विद्वानोए शिल्प अने स्थापत्यमां जोवा मळतां अनेकानेक रूपावर्तोनी खरी पिछान एमना साहित्य अने कलापदार्थोना प्रगाढ अभ्यासने परिणामे करी आपी छे. ढांकीसाहेब आ उत्तम परम्पराने आगळ धपावे छे, विकसित करे छे. मन्दिरस्थापत्यनुं शास्त्रीय वर्णन करवा माटे अनिवार्य परिभाषा तो तेमणे आपी ज, पण साथे साथे एमणे स्थापत्यमां पण विविध रूपावर्तानां खरां नाम आप्यां. 'भीलडीना वेशमां ___२. आ मन्दिर विशे तेओ कहे छे के आ ब्रह्मानुं नहीं पण शिव- मन्दिर हतुं अने एमां चतुर्मुख लिंग हतुं.
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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