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अनुसन्धान- ७१
मारु-गुर्जर टेम्पल आर्किटेक्चर' नो, अमारी समज प्रमाणे, अभ्यास करता. मन्दिरस्थापत्य माटे खास करीने में एनसाइक्लपीडियामांथी - पाछळथी समजायुं ते घणुं खरं समज्या विना ज-उतारा करेला ढांकीसाहेबनो आ मारो प्रथम परिचय. आवडो मोटो विद्वान गुजराती ए वाते मने आनंद थयेलो, बलके गर्व थयेलो.
पाछळथी खबर पडी के ढांकीसाहेबनी कलम कोई एक विद्याशाखाथी बंधायेली नहोती : एमनी अकुतोभयसंचारिणी विद्या अनेक विषयोमां घूमी वळती. एमनुं जीवन तो जाणे मन्दिरस्थापत्यना अभ्यासने समर्पित थयेलुं, पण ए सिवाय कलाइतिहास, इतिहास, दर्शनो, निर्ग्रन्थविद्या, पुरातत्त्व, भाषाशास्त्र, रत्नशास्त्र, बागायतविद्या, साहित्य, अभिलेखविद्या, शास्त्रीय संगीत अने शास्त्रीय नृत्यो जेवां अनेकविध क्षेत्रोमा एमणे महत्त्वनुं प्रदान कर्तुं छे. एमनुं लेखनकार्य अलबत्त मुख्यत्वे अंग्रेजीमा थयुं छे (देवालय स्थापत्यना महाकोशना छ बृहत्काय ग्रन्थोनुं लेखन - सम्पादन उपरांत नव लघुग्रन्थो अने ग्रन्थो; १४० जेटला लेखो, जेमां प्रणालने लगता पंच्याशी पानाना सुदीर्घ लेखनो पण समावेश थाय). हिन्दीमां एमनां लखाण स्वल्प छे (एक पुस्तक अने आठ लेखो), पण एमनी मातृभाषा गुजरातीमां एमनुं लखाण खास्सुं विपुल छे (स्थापत्य, कला, इतिहास, संगीत, टंकीवार्ता अने ललित लखाणोने समावतां सत्तर नानां-मोटां पुस्तको उपरांत १५० जेटला लेखो ).
ढांकीसाहेबनी अठ्ठावन वर्षनी सुदीर्घ लेखनकारकीर्दीमां जे लखाणो थयां एमांनां केटलांक तो एमनी पोतानी पासे पण नहोतां. सद्भाग्ये एमणे एमनां वधु महत्त्वपूर्ण गुजराती लखाणोने पुस्तकाकारे प्रगट करेलां. निर्ग्रन्थ साहित्य अने कला-स्थापत्यने लगता बे ग्रन्थो निर्ग्रन्थ ऐतिहासिक लेखसमुच्चय तरीके प्रकाशित थया छे तो संगीतविषयक लेखो सप्तकमां संगृहीत थया छे. गिरनारने लगतां लखाणो साहित्य, शिल्प अने स्थापत्यमां गिरनार ए पुस्तकमां अने केटलीक आत्मकथनात्मक नोंधो, यादगार अनुभवो अने ताम्रशासन वार्ता शनिमेखलामां एकत्रित करायां छे. एमनी टूंकी वार्ताओनो संग्रह ते ताम्रशासन. अलबत्त, स्थळसंकोचने कारणे एमनां तमाम लखाणो विशे अहीं वात करवी शक्य नथी, एथी अहीं एमना केटलाक अगत्यना लेखो विशे अने ए