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ओक्टोबर २०१६
मधुसूदन ढांकीनां गुजराती-हिन्दी लखाणो :
एक अवलोकन
स॒त्येनोत्त॑भिता॒ भूमि॒
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- हेमन्त दवे
(ऋग्वेद १९.८५.१)
मारो उच्च अभ्यास पुरातत्त्व विषयमां पुणेनी डेक्कन कोलेजमां. हुं ज्यारे अहीं भणवा आव्यो त्यारे मारुं हिन्दी एक सरेराश गुजराती विद्यार्थीनुं होय तेवुं, साधारण. अंग्रेजी वांची समजी शकुं खरो पण बोलवाना फांफां (आजेय !) अने लखवाना पण. मारो एक मित्र संदीप राजगुरु मराठी, माटे मराठीनां बे चार वाक्यो जाणुं. ट्रंकमां, गुजराती सिवाय बीजी कोई भाषा सरखी आवडे नहीं. मारी कोलेजनुं वातावरण एक रीते वैश्विक : भारतना लगभग दरेक प्रान्तना विद्यार्थीओ तो खरा ज, पण ए उपरान्त जपान, थाईलंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, ईरान, जोर्डन, यमन, लेबनन, बेल्जियम, इंग्लंड, अमेरिकाना पण विद्यार्थीओ रहे अने आ देशोना जाणीता पुरातत्त्वविदोनो पण आवरोजावरो खरो. गुजरातीमां वात करवानुं मन थाय पण कोनी साथे करूं? आवामां एक दिवस मारी मित्र ऋचाए मने कहेवडाव्युं के गुजरातथी मारा एक मित्र आव्या छे तो तुं वातो करवा आव. हुं एमनी साथे जोडायो हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी एम त्रिभाषामां चर्चा चाली. वात वातमां ए आवनारी व्यक्तिए, बकुल जानीए, कह्युं के 'ढांकी इझ अ टेरर इन गुजरात.' में पूछ्यं, 'एम० ए० ढांकी?'. जवाब मळ्यो हा. एटले में साश्चर्य पूछयुं, 'ए गुजराती छे?' एटले फरी हकारमां उत्तर आव्यो. एम० ए० मां मारो एक विषय भारतीय कला अने स्थापत्यनो. अभ्यासक्रमनी तैयारीरूपे अमे अमारा शिक्षकोना सूचन अनुसार वासुदेवशरण अग्रवाल, आनंद कुमारस्वामी, श्टेला क्रामरिश, पर्सी ब्राउन ( एमनुं कालग्रस्त इन्डियन आर्किटेक्चर ते अमारुं जाणे धर्मपुस्तक) जेवा विद्वानोनां लखाणोनी साथे साथे एम० ए० ढांकीना एनसाइक्लपीडिया अव इन्डियन टेम्पल आर्किटेक्चरनां केलांक प्रकरणोनो अने एमना शकवर्ती लेख 'जेनसिस एन्ड डिवेलपमन्ट अव