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________________ २५० अनुसन्धान-७१ लखायेला संशोधनग्रन्थो पाछा खेंची लेवानां फरमानो पण थयेलां. परन्तु एमणे पोतानी संशोधक तरीकेनी कामगीरी पोते पूर्ण निष्ठाथी बजावी छे एनो आत्मसन्तोष व्यक्त करीने कोईपण जातना ऊहापोह विना मौन रहेवानु पसंद करेलुं. त्यार पछी तो एमना गुजराती निबन्धो, वार्ताओ, प्रसंगचित्रो अने 'नवनीत समर्पण'ना मे-जून २००१ना अंकोमा डो. यज्ञेश दवे द्वारा लेवायेल सुदीर्घ अन्तरंग मुलाकातनुं वांचन थतुं रह्यं अने एमना व्यक्तित्वनां अणजाण्यां अनेक पासां उजागर थतां रह्यां. ढांकीसाहेबनो स्थूल परिचय : गुजरातना पुरातत्वविद्, स्थापत्यशास्त्री, इतिहासविद्, संगीतज्ञ, वृक्ष-पशुपक्षी प्रेमी, भारतीय संस्कृति तथा जैन धर्मना शास्त्रोना अठंग अभ्यासी, पद्मभूषणनी पदवी, कुमारचन्द्रक, उमा-स्नेहरश्मि पुरस्कार, रणजितराम सुवर्णचन्द्रक अने कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य चन्द्रक जेवां अनेक सन्मानो जेमने प्राप्त थयेलां एवा आन्तरराष्ट्रीय-ख्यातिप्राप्त बहुश्रुत विद्वान श्री मधुसूदन ढांकीसाहेबनो जन्म सौराष्ट्रना गांधीजीनी जन्मस्थळी एवा पोरबंदर खाते ता. ३१ जुलाई १९२७ना रोज थयो हतो. बाल्यावस्थाथी ज अत्यन्त तेजस्वी अने मेधावी व्यक्तित्व. 'सेन्ट्रल बेन्क ओफ इन्डिया'नी नोकरीथी पोतानी कारकिर्दीनो प्रारंभ कर्यो, पोरबंदरमा पुरातत्वमंडळनी स्थापना करनारा मंडळना अग्रणी संशोधक तरीके एमणे पोरबंदर विस्तारना प्राचीन पुरातत्वीय स्थळोनी खोज आदरेली, एवामां जूनागढना म्युझियम संरक्षकना स्थान पर नोकरी मळी अने त्यारपछीना गाळामां जामनगरना संग्रहालय अने राजकोटना वोटसन म्युझियम खाते पण इतिहास, पुरातत्त्व, हिन्दु के जैन मन्दिरोना शिल्प-स्थापत्य अने प्राचीन स्थळो-टींबाओना उत्खनन जेवा रसना विषयोमां सतत काम करवानुं मळतुं रह्यु. ए पछी राजस्थानना जैन मन्दिरोना शिल्प-स्थापत्य-मूर्तिविधान विशे ऊंडाणथी काम करवानी तक मळी. एवामां 'अमेरिकन एकेडेमी बनारस' साथे जोडाया. त्यारबाद अमदावादना लालभाई दलपतभाई प्राच्य विद्यामन्दिर साथे पण अनुसन्धान थयु. परदेशनी अनेक संस्थाओ अने युनिवर्सिटीओमां गुजरातना-भारतना प्रतिनिध तरीके विद्वत्तासभर शोधनिबन्धो प्रस्तुत कर्या.
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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